लखनऊ, 4 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश (UP) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां पुलिस ने एक फर्जी IAS अधिकारी को गिरफ्तार किया है। आरोपी, अनिल कुमार गुप्ता, अपने आप को विशेष सचिव और लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) का सलाहकार बताकर लोगों से ठगी कर रहा था।
लखनऊ की गोमतीनगर पुलिस ने उसे 3 सितंबर 2025 को गिरफ्तार किया, जब वह एक सरकारी दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ करते पकड़ा गया। पुलिस ने उसके कब्जे से दो लग्जरी कारें (मर्सिडीज और BMW), एक फर्जी IAS पहचान पत्र, और कई फर्जी सरकारी दस्तावेज बरामद किए हैं।
ठगी का जाल और गिरफ्तारी
अनिल गुप्ता पर आरोप है कि वह फर्जी IAS अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करता था। उसने कई लोगों को नौकरी और सरकारी ठेके दिलाने का झांसा दिया। गोमतीनगर निवासी एक व्यवसायी की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की, जिसमें पता चला कि अनिल ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए लाखों रुपये की ठगी की। वह सरकारी बैठकों में शामिल होने और अधिकारियों के साथ तस्वीरें खिंचवाकर अपनी विश्वसनीयता बढ़ाता था।
पुलिस को शक तब हुआ, जब अनिल ने LDA के एक प्रोजेक्ट में कथित तौर पर हस्तक्षेप करने की कोशिश की। तकनीकी निगरानी और स्थानीय खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस ने उसे गोमतीनगर के एक पॉश इलाके से गिरफ्तार किया। पूछताछ में अनिल ने कबूल किया कि वह पिछले दो साल से यह धोखाधड़ी कर रहा था।
बरामद सामान और ठगी का तरीका
पुलिस ने अनिल के पास से बरामद सामान में शामिल हैं:
- मर्सिडीज और BMW कारें, जिनमें सरकारी नंबर प्लेट लगी थीं।
- फर्जी IAS पहचान पत्र और LDA के कथित सलाहकार के दस्तावेज।
- सरकारी स्टांप और लेटरहेड्स, जिनका इस्तेमाल वह ठगी के लिए करता था।
अनिल ने बताया कि वह ठगी से मिले पैसे से लग्जरी गाड़ियां खरीदता था और सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें डालकर रसूख का दिखावा करता था। उसने कई लोगों से नौकरी और ठेके दिलाने के नाम पर लाखों रुपये ऐंठे।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
गोमतीनगर थाने के SHO अखिलेश मिश्रा ने बताया, “आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), और 471 (फर्जी दस्तावेज) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हम यह जांच कर रहे हैं कि इस ठगी के जाल में और कौन-कौन शामिल हैं।” पुलिस अब अनिल के बैंक खातों और संपत्तियों की जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उसने लखनऊ, कानपुर, और दिल्ली में कई लोगों को ठगा।
पुलिस अब अनिल के सहयोगियों और अन्य संभावित पीड़ितों की तलाश कर रही है। LDA और अन्य सरकारी विभागों से भी उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इस मामले ने प्रशासनिक प्रणाली में फर्जीवाड़े की संभावनाओं को उजागर किया है, जिसके बाद सरकार ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सत्यापन प्रक्रिया को और सख्त करने की बात कही है।