इस्लामाबाद । पाकिस्तान में मूसलाधार बारिश (Heavy Rain) ने कहर बरपाया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की ओर जारी आंकड़ों के मुताबिक 26 जून से अब तक 140 बच्चों समेत कम से कम 299 लोगों की जान चली गई और 715 घायल हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट (Media Report) के मुताबिक सोमवार को बारिश से जुड़ी घटनाओं में 715 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 239 बच्चे, 204 महिलाएं और 272 पुरुष हैं। इस बीच अचानक आई बाढ़ और भारी बारिश में कुल 1,676 घरों को नुकसान पहुंचा है और 428 पशुओं की मौत हुई है।
इस्लामाबाद में गरज के साथ भारी बारिश हो सकती है
बाढ़ ने कई क्षेत्रों में तबाही मचाई है और लागों को भारी नुकसान पहुंचाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (PMD) ने देश के ऊपरी और मध्य क्षेत्रों में बारिश का दौर जारी रहने की बात कही है। सोमवार को कमजोर मानसूनी हवाओं के तेज होने और मंगलवार को तेज पश्चिमी लहरें आने की संभावना है। पीएमडी के राष्ट्रीय मौसम के मुताबिक गुरुवार तक पीओके, गिलगित-बाल्टिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा, पंजाब और इस्लामाबाद में गरज के साथ भारी बारिश हो सकती है।
सप्ताह में हवा व गरज-चमक के साथ बारिश का अनुमान है
मौसम विभाग ने बताया कि आने वाले सप्ताह में हवा व गरज-चमक के साथ बारिश का अनुमान है। कमजोर मानसूनी हवाएं देश के ऊपरी व मध्य भागों में चल रही हैं और सोमवार से इनके तेज होने की संभावना है। मंगलवार को एक पश्चिमी विक्षोभ के मजबूत होने की संभावना है। पाकिस्तानी मौसम विभाग ने बुधवार को उत्तर-पूर्वी बलूचिस्तान के कई हिस्सों में बारिश और तूफान का पूर्वानुमान लगाया है, साथ ही चेतावनी दी है कि निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है और नागरिकों से सावधानी बरतने का आग्रह किया है।
सतर्क रहने और अग्रिम उपाय करने के निर्देश दिए हैं।
सभी संबंधित संस्थानों को सतर्क रहने और अग्रिम उपाय करने के निर्देश दिए हैं। मौसम विभाग ने आगाह किया कि भारी बारिश से चित्राल, दीर, स्वात, शांगला, मानसेहरा, कोहिस्तान, एबटाबाद, बुनेर, चारसद्दा, नौशेरा, स्वाबी, मर्दन, मुर्री, गलियात, रावलपिंडी, उत्तर-पूर्वी पंजाब और पीओके समेत कई क्षेत्रों के नाले अचानक उफन सकते हैं। इस सप्ताह में इस्लामाबाद और रावलपिंडी, गुजरांवाला, लाहौर और सियालकोट के निचले इलाकों में संभावित शहरी बाढ़ आने की संभावना है।
पाकिस्तान में बाढ़ का कारण क्या है?
पाकिस्तान का बाढ़ इतिहास दशकों से चली आ रही एक आवर्ती समस्या को उजागर करता है। ये आपदाएँ भारी मानसूनी बारिश और हिमनदों के पिघलने जैसे प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ खराब शहरी नियोजन और वनों की कटाई जैसे मानवीय कारकों के मिश्रण से प्रेरित होती हैं।
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