आरबीआई ने स्वर्ण भंडार किया मजबूत
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) लगातार सोने की भारी खरीदारी कर रहा है। इसका असर देश(India) के विदेशी मुद्रा(Forex) भंडार पर साफ दिख रहा है। बीते 5 सितंबर 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.03 अरब डॉलर बढ़ गया। इस दौरान केवल स्वर्ण भंडार में ही 3.53 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई। इससे पहले वाले सप्ताह में भी भंडार में 3.51 अरब डॉलर की बढ़ोतरी देखी गई थी।
विदेशी मुद्रा भंडार में मजबूत इजाफा
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, 5 सितंबर 2025 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 698.268 अरब डॉलर हो गया। एक सप्ताह पहले इसमें 3.51 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2024 के अंतिम सप्ताह में यह भंडार 704.885 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था।
इसी अवधि में विदेशी मुद्रा आस्तियां(Forex) भी बढ़ी हैं। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में एफसीए में 540 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई। इसके पहले वाले सप्ताह में इसमें 1.686 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। अब कुल एफसीए भंडार 584.477 अरब डॉलर हो गया है।
स्वर्ण भंडार में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
रिजर्व बैंक के अनुसार, स्वर्ण भंडार में वृद्धि की रफ्तार विदेशी मुद्रा आस्तियों से कहीं ज्यादा रही। 5 सितंबर को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार 3.530 अरब डॉलर बढ़कर 90.299 अरब डॉलर पहुंच गया। इससे पहले सप्ताह में भी इसमें 1.766 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी। इस समय विश्व के अधिकतर केंद्रीय बैंक तेजी से सोने की खरीदारी कर रहे हैं और भारत भी इसी राह पर आगे बढ़ रहा है।
हालांकि, समीक्षाधीन सप्ताह में विशेष आहरण अधिकार में गिरावट दर्ज हुई। एसडीआर 34 मिलियन डॉलर घटकर 18.742 अरब डॉलर पर आ गया। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास रखे गए देश के भंडार में 2 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई, जिससे यह 4.751 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में अचानक इतनी बढ़ोतरी क्यों हुई?
इसका मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सोने की भारी खरीदारी और विदेशी मुद्रा(Forex) आस्तियों में लगातार इजाफा है। डॉलर, यूरो, पौंड और येन जैसी मुद्राओं में उतार-चढ़ाव का असर भी भंडार पर देखा गया।
स्वर्ण भंडार में वृद्धि से भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या लाभ मिलेगा?
सोने के भंडार में वृद्धि से देश की वित्तीय स्थिरता और मुद्रा की मजबूती बनी रहती है। वैश्विक आर्थिक संकट की स्थिति में भी यह भंडार सुरक्षा कवच का काम करता है और विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ाता है।
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