- बूढ़ी मां ने कांपते हाथों से बेटे को दी विदाई
- बहनों का रो-रो कर बुरा हाल
आगरा (Agra) के फतेहपुरसीकरी थाना क्षेत्र के ग्राम उत्तू में जहां परिवार में हंसी-ठिठोली चल रही थी, वहीं एक हादसे के बाद मौत (Death) का सन्नाटा पसर गया। एक-एक कर परिवार के चार सदस्यों की अर्थियां उठीं, तो पूरा गांव रो पड़ा।
आगरा Agra के फतेहपुर सीकरी में भरतपुर के गांव दौलतगढ़ में ढाय में दबकर एक परिवार के 6 सदस्यों में से 4 की मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया। मृतकों में जेठानी, देवरानी, भतीजा और भतीजा बहू थीं। शव दोपहर में गांव पहुंचे तो परिवार में चीत्कार मच गया। गांव में एक साथ एक ही जगह चारों चिताएं जलीं तो मौजूद सैकड़ों लोगों की आंख नम हो गईं।
Agra सीकरी के गांव नगला उत्तू के अनुकूल (22) पुत्र विजेंद्र सिंह, विमला देवी (45), योगेश कुमारी (22), विनोद देवी (50) की दबने से मौत हो गई। दो घायलों का इलाज चल रहा है। विनोद देवी और विमला जेठानी-देवरानी थीं, जबकि अनुकूल भतीजा था। योगेश जेठ फौरन सिंह के बेटे अमित की बहू थी। हादसे के बाद भरतपुर पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराया।
पोस्टमार्टम के बाद चारों शवों को गांव में दोपहर लगभग एक बजे लाया गया। परिवार में चीत्कार मच गया। शवयात्रा एक साथ निकाली गई। गांव के श्मशान घाट पर एक साथ चारों की चिता सजाकर मुखाग्नि परिवार के बंटू ने दी। अंतिम संस्कार में आसपास के गांवों से भी लोग पहुंचे। लोगों का कहना था कि पीड़ित परिवार को प्रशासन से आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। गांववालों ने बताया कि सुबह परिवार के लोग हंसी-खुशी निकले थे। अपनी चाची, ताई के साथ ही अनुकूल भी चला गया था।
रोजाना मिट्टी ले जा रहे थे लोग
चंबल जल परियोजना के तहत धौलपुर से भरतपुर की ओर नई पाइपलाइन डाली जा रही है। यह लाइन दौलतगढ़ के खेतों से होकर गुजर रही है। ग्रामीणों ने बताया कि कार्यदायी संस्था ने बिना किसी तरह के बैरिकेडिंग नहीं की गई थी। कार्यदायी संस्था के मजदूर 15 दिन पूर्व करीब 15 फीट गड्ढा पाइपलाइन डालने के लिए छोड़ गए थे। इसके बाद से ही आसपास के गांव घेवरी, जंगी का नगला, गहनोली मोड़, सामरा, उत्तू, कल्याणपुर, खजूरी आदि के ग्रामीण घरेलू कामकाज के लिए मिट्टी को खोद कर ले जा रहे थे, जिससे गहरी सुरंग बन गई थी। बरसात के कारण यह धसक गई।
अबोध चैतन्य को देख छलके लोगों के आंसू
हादसे में इसी परिवार के अमित की पत्नी योगेश भी चल बसी। योगेश का एक साल का बेटा चैतन्य अपने पिता अमित के सीने से लगकर श्मशान घाट लेकर पहुंचा। पिता की गोद में खेल रहे चैतन्य को देखकर अमित बार-बार भावुक हो रहे थे। अमित थककर जमीन पर बैठ गए। पास में ही पत्नी की चिता थी। अबोध चैतन्य कभी हंसता तो कभी मां की याद करते रोता। उसे नहीं पता था कि अब उसके सिर से उसकी मां का साया हमेशा के लिए हट गया है। अमित और खेलते चैतन्य को देख भाजपा नेता रामेश्वर चौधरी भी अपनी आंखों के आंसुओं को नहीं रोक पाए। उन्होंने चैतन्य को अपनी गोदी में लेना चाहा मगर वह अपने पिता के सीने से चिपक गया। इसे देख श्मशान में मौजूद अन्य लोगों की आंखें छलक पड़ीं।
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