मुंबई । अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा (H-1B Visa) शुल्क को 100,000 डॉलर तक बढ़ाने के फैसले का असर इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार पर दिख सकता है। इस कदम से भारत की आईटी कंपनियों (IT Comapnies) जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इंफोसिस और विप्रो की लागत बढ़ सकती है, जिससे उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उन कंपनियों के लिए चिंता का विषय है जो अमेरिका में ऑनशोर प्रोजेक्ट्स पर निर्भर हैं। गौरतलब है कि एच-1बी वीजा धारकों में 70 फीसदी से अधिक भारतीय पेशेवर हैं। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब वैश्विक व्यापार वार्ताएं चल रही हैं, और इससे आईटी सेवा (IT Service) निर्यातकों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा।
अमेरिकी ग्राहकों पर असर
यह कदम अमेरिकी ग्राहकों की लागत बढ़ाएगा और भारतीय टैलेंट की मांग को प्रभावित करेगा।
घरेलू मोर्चे पर राहत
हालांकि घरेलू मोर्चे पर राहत की खबर है। जीएसटी परिषद ने 375 वस्तुओं पर कर दरों में कटौती की घोषणा की है, जो 22 सितंबर से लागू होगी। इससे रसोई का सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयां और वाहन सस्ते होंगे। यह त्योहारी सीजन में उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहित कर सकता है।
व्यापारिक वार्ताओं से उम्मीद
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल 22 सितंबर को अमेरिका में व्यापार समझौते पर वार्ता के लिए जाएंगे, जिससे व्यापारिक दृष्टिकोण से सकारात्मक संकेत मिल सकते हैं।
अन्य कारक भी रहेंगे महत्वपूर्ण
विदेशी निवेशकों की गतिविधियां और कच्चे तेल की कीमतें भी बाजार की दिशा निर्धारित करेंगी। पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 721 अंक और निफ्टी में 213 अंकों की बढ़त देखी गई। अब निवेशकों की नजर अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों और फेडरल रिजर्व की नीतियों पर भी बनी रहेगी।
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