हनुमान और बाली: रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक बाली को उसकी महान शक्ति और बहादुरी के लिए जाना जाता है। वह वानरराज था और इतना बलशाली था कि रावण जैसे असुर को भी अपनी बगल में दबाकर छह महीने तक घुमाया था।
लेकिन एक कथा ऐसी भी है, जब उसका सामना हुआ भगवान हनुमान से — और तब उसके सारे घमंड चूर हो गए।
कौन था बाली और उसे कैसी शक्ति मिली थी?
बाली सूर्यदेव का बेटा था। ब्रह्मा जी ने उसे एक अभिमंत्रित सोने की माला दी थी, जिसे पहनकर वह युद्ध करता था। यह माला ऐसी थी कि जिससे भी बाली संग्राम करता, उस संग्राम की आधी ताकत बाली के भीतर समा जाती और आधी शक्ति नष्ट हो जाती।
इसी अनुग्रह के कारण बाली अजेय माना जाता था। उसने रावण और कई दैत्यों को परास्त किया था।
हनुमान की तपस्या में बाधा
एक दिन बाली वन में गया, जहां हनुमान जी प्रभु राम का जाप कर रहे थे। बाली ने अपने बल का अभिव्यक्ति करते हुए जीवों को डराना प्रारंभ कर दिया। हनुमान जी से यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने बाली को समझाने की प्रयास की।
लेकिन बाली घमंड में था। उसने राम का भी अवमान कर दिया, जिससे हनुमान गुस्सा हो गए।

बाली और हनुमान का रोमांचक महासंग्राम
हनुमान जी ने बाली को संग्राम की चुनौती दी। बाली अपनी सोने की माला पहनकर संग्राम स्थल पर पहुंचा, लेकिन जैसे ही वह हनुमान के सामने आया, उसे समझ में आया कि
हनुमान की शक्ति से कांप उठा बाली
उसका बदन इतना भारी हो गया कि वह उस शक्ति को संभाल नहीं पा रहा था। बाली को लगा कि उसका बदन फट जाएगा।
ब्रह्मा जी का प्रकट होना और बाली की हार
इसी वक्त ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बाली से कहा कि तू इस ताकत को सहन नहीं कर सकता। हनुमान अतुल बलशाली हैं और इनकी तुलना कोई नहीं कर सकता।
बाली को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह वहां से चला गया।