Jihad: पाकिस्तानी सेना के विवादित सिद्धांत का पुनरावर्तन
पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर अपने विवादास्पद सिद्धांत को दोहराया है, जिसमें “Jihad” को उनकी आधिकारिक नीति का हिस्सा बताया गया है। सेना के एक प्रवक्ता ने हाल ही में एक बयान में यह भी कहा कि उनके जनरल भी “जिहादी” विचारधारा का पालन करते हैं। इस बयान ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं बढ़ा दी हैं।

सेना का “Jihad” पर रुख और उसका अर्थ
पाकिस्तानी सेना द्वारा “Jihad” को अपनी नीति के रूप में घोषित करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन समय-समय पर इस तरह के बयानों का दोहराव कई सवाल खड़े करता है। विश्लेषकों का मानना है कि सेना इस शब्दावली का उपयोग घरेलू और क्षेत्रीय स्तर पर अपने प्रभाव को बनाए रखने और कुछ खास वर्गों को लामबंद करने के लिए करती है। हालाँकि, “Jihad” जैसे संवेदनशील शब्द का सैन्य नीति में इस्तेमाल आतंकवाद और चरमपंथ को बढ़ावा देने के आरोपों को भी हवा देता है।
जनरल को “जिहादी” कहना: निहितार्थ और प्रतिक्रियाएं
सेना के प्रवक्ता का यह दावा कि उनके जनरल भी “जिहादी” हैं, और भी अधिक विवादास्पद है।
एक सैन्य प्रमुख को इस तरह की धार्मिक पहचान से जोड़ना सेना की धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल उठाता है।
भारत ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव
पाकिस्तान की सैन्य नीति में “Jihad” का उल्लेख और सेना के प्रमुख को “जिहादी” बताना, भारत के साथ उसके पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और खराब कर सकता है। सीमा पर संघर्ष और आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि की आशंका बढ़ जाती है।
इसके अलावा, अफगानिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

आतंकवाद और चरमपंथ का खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि सेना द्वारा इस तरह की भाषा का प्रयोग देश के भीतर मौजूद आतंकवादी समूहों को और बढ़ावा दे सकता है। “Jihad” के नाम पर युवाओं को गुमराह करना और उन्हें हिंसा के रास्ते पर धकेलना आसान हो जाता है। यह न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। पाकिस्तान के भीतर भी इस बयान की आलोचना हो रही है। कई राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सेना से इस तरह के भड़काऊ बयान देने से बचने और एक अधिक जिम्मेदार रवैया अपनाने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि इस तरह की नीतियां देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर सकती हैं और आर्थिक विकास को बाधित कर सकती हैं।