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Astrology : ग्रह दोषों की वजह से पति-पत्नी के रिश्ते का हो जाता है अंत

Kshama Singh
Kshama Singh
Astrology : ग्रह दोषों की वजह से पति-पत्नी के रिश्ते का हो जाता है अंत

जान के दुश्मन बन जाते हैं पति-पत्नी

कई बार हंसती-खेलती शादीशुदा (Married) जिंदगी में अचानक से ऐसी स्थिति बन जाती हैं कि बसा-बसाया परिवार उजड़ जाता है। जो कभी एक-दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे, उनके बीच में निगेटिव एनर्जी (Negative energy) आने लगती है और मनमुटाव होने लगते हैं। जब तक मामले समझ में आते हैं, तब तक स्थितियां बद से बदतर हो सकती हैं। कभी-कभी तो पति-पत्नी एक-दूसरे के जान के दुश्मन बन जाते हैं।

वैवाहिक जीवन में ऐसी स्थितियों के लिए कुंडली के कई ग्रह दोष जिम्मेदार हो सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में 12 भाव, 12 राशियां और 27 नक्षत्रों के आधार पर जीवन में घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुंडली में कुछ ऐसे योग के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर पति-पत्नी एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन जाते हैं।

विवाह का भाव है सप्तम भाव

विवाह को जीवन का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है और कुंडली का सप्तम भाव विवाह का भाव होता है। कुंडली के सप्तम भाव को वैवाहिक जीवन और जीवनसाथी से संबंधित माना जाता है। वहीं कुंडली का पाँचवां भाव आपसी प्रेम संबंध को दर्शाता है। कुंडली के सप्तम भाव के स्वामी शुक्र ग्रह होते हैं और राशि तुला है। अगर इस भाव में शुभ ग्रह विराजमान हैं, तो विवाह में समस्या नहीं होती है। साथ पति-पत्नी के बीच संबंध मजबूत होते हैं। वहीं कुंडली के सप्तम भाव में यदि अशुभ ग्रह बैठ जाएं, तो विवाह में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और बात डिवोर्स तक पहुंच सकती है।

पति-पत्नी

कुंडली में कलह की स्थिति

यदि सप्तमेश 6वें, 8वें या 12वें घर में स्थित हों या फिर सप्तमेश पंचम भाव में हों। तो पति-पत्नी के बीच कलह शुरू होने लगती है। कुंडली के सप्तम भाव में शनि, राहु-केतु और मंगल जैसे क्रूर ग्रह हों या सूर्य की पूर्ण दृष्टि हो। या फिर सप्तमेश भाव में इन ग्रहों में से किसी की युति बन रही है, तो पति-पत्नी के बीच कलह और अनबन शुरू हो जाती है।

अलगाव की स्थिति

ज्योतिष नियमों के मुताबिक कुंडली में शुक्र एक से अधिक विवाह के कारक माने जाते हैं। यदि कुंडली में सप्तम और अष्टम के स्वामी कमजोर होकर केंद्र में आ जाएं या फिर लड़की की कुंडली में सप्तम और सप्तमेश का संबंध राहु, सूर्य और मंगल से हो जाएं, ऐसी स्थिति में लड़की को पति से अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली के सप्तम भाव के स्वामी अष्टम भाव में बैठ जाएं और अष्टम भाव के स्वामी सप्तम भाव में बैठ जाएं, तो महिला के पति की मृत्यु विवाह के कुछ महीनों में होने की आशंका मानी जाती है।

वैवाहिक जीवन में आती हैं समस्याएं

बता दें कि लड़की की कुंडली में पति का कारक सप्तम भाव और शुक्र ग्रह होते हैं। वहीं लड़के की कुंडली में पत्नी का कारक ग्रह सप्तम भाव को माना जाता है। इस भाव से अगर पाप ग्रह या क्रूर ग्रह गुजरने लगते हैं। या उनकी दृष्टि लग्न भाव से 7वीं दृष्टि और पूर्ण दृष्टि पड़ती है। तब भी विवाह में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

अगर उदाहरण के तौर पर सप्तम भाव में शनि बैठ जाते हैं और शनि की सप्तम दृष्टि जब कर्क लग्न पर पड़ती है। तो वह अच्छी नहीं मानी जाती है। सप्तम भाव में अगर राहु आ जाता है और मिथुन लग्न की कुंडली हो, तब भी अशुभ प्रभाव देखने को मिलता है। सप्तम भाव में मंगल बैठ जाए और कुंडली मिथुन, मकर, वृषभ या कुंभ लग्न की हो, तो भी वैवाहिक जीवन में समस्याएं आने लगती हैं।

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