बीजिंग । हाल ही में आयोजित विक्ट्री डे परेड (Victory Day Prade) में चीन ने दुनिया को अपनी सैन्य ताकत का ऐसा नजारा दिखाया जिसने अमेरिका (America) समेत कई देशों की नींद उड़ा दी। इस परेड में पहली बार एचक्यू-29 एंटी-मिसाइल सिस्टम को दिखाया गया, जिसे चीन का नया ‘सैटेलाइट किलर’ (Sattelite Killer) कहा जा रहा है।
हवा से लेकर अंतरिक्ष तक वार करने में सक्षम
इसकी खासियत यह है कि यह केवल हवा में ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष तक जाकर दुश्मन के टारगेट को मार गिराने में सक्षम है। यही वजह है कि अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों में इसे लेकर गहरी चिंता दिखाई दे रही है। चीन की यह नई तकनीक सीधे तौर पर अमेरिकी स्पेस डॉमिनेंस को चुनौती देती है।
अमेरिकी बढ़त पर मंडराया खतरा
अब तक अमेरिका अंतरिक्ष से जुड़ी सैन्य क्षमताओं का सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता था। लेकिन एचक्यू-29 के सामने उसकी बढ़त खतरे में पड़ सकती है। यह हथियार दुश्मन के सैटेलाइट्स, हाइपरसोनिक हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइलों तक को निशाना बना सकता है।
रणनीतिक महत्व भी बेहद बड़ा
चीन अब हवा से लेकर अंतरिक्ष तक सुरक्षा कवच बनाने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन का यह कदम केवल सैन्य शक्ति दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि इसका रणनीतिक महत्व और भी बड़ा है।
एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्लब में चीन की एंट्री
एचक्यू-29 के आने से चीन उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जिनके पास पूर्ण एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम है। यह न सिर्फ एशिया बल्कि पूरे विश्व की सुरक्षा व्यवस्था के समीकरण बदल सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध ने बदली तस्वीर
अमेरिका और पश्चिमी देश अभी तक मानते थे कि उनके पास ही ऐसी टेक्नोलॉजी है जो दुनिया में बेजोड़ है। लेकिन यूक्रेन युद्ध में रूस द्वारा हाइपरसोनिक हथियारों के इस्तेमाल ने दिखा दिया कि पश्चिमी एयर डिफेंस सिस्टम्स भी कई बार असफल हो सकते हैं। अब चीन के एचक्यू-29 जैसे ‘स्पेस किलर’ हथियार से अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व पर सीधा असर पड़ सकता है।
क्या चीन एक हिंदू राष्ट्र है?
हालाँकि हिंदू धर्म पाँच आधिकारिक राज्य मान्यता प्राप्त धर्मों (बौद्ध धर्म, ताओ धर्म, कैथोलिक ईसाई धर्म, प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म और इस्लाम) में से एक नहीं है, और हालाँकि चीन आधिकारिक तौर पर एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, फिर भी चीन में हिंदू धर्म के पालन की अनुमति है, हालाँकि सीमित स्तर पर।
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