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Chess World Cup: फिडे महिला वर्ल्ड कप फाइनल में हम्पी-दिव्या

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Chess World Cup: फिडे महिला वर्ल्ड कप फाइनल में हम्पी-दिव्या

पहली बार भारत vs भारत फाइनल

Chess World Cup: ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी (Koneru Humpy) ने गुरुवार को फिडे महिला (Woman) विश्व कप सेमीफाइनल में चीन की टिंगजी लेई को टाईब्रेकर में पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए हरा दिया और अब फाइनल उनका सामना हमवतन Hampi-Divya भारतीय दिव्या देशमुख से होगा। शनिवार से होने वाले फाइनल में जगह बनाने वाली हम्पी और दिव्या दोनों ने अगले साल होने वाले महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर लिया है

World Cup: सामान्य समय नियंत्रण में पहली दो बाजी ड्रॉ होने के बाद हम्पी को टाईब्रेकर में 1-1 से ड्रॉ के साथ संतोष करना पड़ा जिसमें दोनों खिलाड़ियों के लिए 15-15 मिनट की दो बाजी अतिरिक्त समय के साथ थी। अगली दो टाईब्रेक बाजी 10-10 मिनट की थी। लेई ने पहली बाजी जीतकर बढ़त बनाई लेकिन हम्पी ने मुश्किल स्थिति में होने के बावजूद दूसरी बाजी जीतकर मुकाबला फिर बराबर कर दिया।

Chess World Cup: टाईब्रेक बाजी के तीसरे सेट में Hampi-Divya हम्पी ने पहली बाजी में सफेद मोहरों से शुरुआत की और खेल के सभी विभागों में लेई को परास्त करते हुए इसे जीत लिया। पहली बाजी जीतने के बाद फाइनल में पहुंचने के लिए हम्पी को बस एक ड्रॉ की जरूरत थी और उन्होंने जीत हासिल करके खिताबी मुकाबले में जगह बनाई। यह पहली बार है जब किसी चेस वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत बनाम भारत मुकाबला होगा। 

दिव्या पहली बार खेल रहीं वर्ल्ड कप

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मास्टर 19 साल की दिव्या देशमुख ने फिडे महिला विश्व शतरंज कप के सेमीफाइनल के दूसरे गेम में पूर्व विश्व चैंपियन चीन की झोंगयी टैन को हरा दिया था और मिनी मैच 1.5-0.5 से जीतकर फाइनल में प्रवेश किया था।

इस प्रक्रिया में दिव्या कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह बनाने वाली पहली भारतीय बन गईं थीं। महिला कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट अगले साल होना है और उस टूर्नामेंट से मौजूदा महिला विश्व चैंपियन वेनजुन जू के प्रतिद्वंदी का फैसला होगा। दिलचस्प बात यह है कि दिव्या पहली बार विश्व कप में हिस्सा ले रही हैं। 

चीन की दूसरी वरीयता प्राप्त जोनर झू और तत्कालीन हमवतन ग्रैंडमास्टर डी हरिका को क्वार्टर फाइनल में हराने के बाद दिव्या ने इस प्रतियोगिता में अपना दबदबा बरकरार रखा और टैन के खिलाफ 101 चाल में जीत उनके बढ़ते शतरंज कौशल का प्रमाण था। 

शतरंज में हम्पी कौन है?

कोनेरू हम्पी का जन्म 31 मार्च 1987 को आंध्र प्रदेश के गुडीवाड़ा में एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम “हम्पी” उनके माता-पिता, कोनेरू अशोक और कोनेरू लता द्वारा रखा गया था, जिन्होंने यह नाम “चैंपियन” शब्द से लिया था।

हम्पी ने कब शतरंज खेलना शुरू किया था?

मात्र छः वर्ष की आयु से ही हम्पी ने खेल में रूचि लेना शुरू कर दिया। प्रशिक्षक के तौर पर उनके पिता ही हम्पी को शतरंज के दावपेंच सिखाते थे। मात्र 9 वर्ष की आयु में ही हम्पी ने शतरंज में 3 राष्ट्रीय स्तर के गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिए थे। यही प्रतिभावान महिला खिलाड़ी आगे जाकर देश की पहली पुरुष ग्रेडस्लेम विजेता बनी।

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