Iceland Heat Record: ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा अब साफ-साफ दिखाई देने लगा है। 15 मई 2025 को आइसलैंड में तापमान 26 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच गया, जो इस उपनगरीय द्वीप के लिए एक रिकॉर्ड है।
वैज्ञानिक नेटवर्क वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (WWA) की ताजा प्रतिवेदन बताती है कि मई की इस हीटवेव के कारण ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर औसतन 17 गुना तेजी से पिघली।

यह बर्फ पिघलना न सिर्फ़ समुद्र के जल स्तर को प्रभावित कर रहा है, बल्कि पूरे वैश्विक मौसम तंत्र पर प्रभाव डाल रहा है। जलवायु वैज्ञानिक फ्राइडेरिक ओटो के मुताबिक, अगर ग्लोबल वॉर्मिंग नहीं होती, तो इतनी तेज बर्फ पिघलने की संभावना भी नहीं थी।

डब्ल्यूडब्ल्यूए (World Weather Attribution) की प्रतिवेदन के अनुसार, इस साल मई में आइसलैंड का तापमान औसतन 13 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा रहा, जो 1991-2020 के औसत तापमान से कहीं अधिक है। इसी दौरान पूर्वी ग्रीनलैंड में तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 3.9 डिग्री ज़्यादा प्रविष्ट किया गया।
Iceland Heat Record: यह सब दर्शाता है कि आर्कटिक मैदान ग्लोबल वॉर्मिंग की सबसे पहली मार झेल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति केवल मौसम तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे ग्रीनलैंड के स्वदेशी समुदायों की पारंपरिक जीवनशैली और उनकी आजीविका भी प्रभावित हो रही है।

शिकार करने की उनकी क्षमता घट रही है और बर्फ पिघलने से बाढ़ और बुनियादी ढांचे को हानि पहुंचने की आशंका भी बढ़ गई है।
अगर इस दिशा में वक्त रहते कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले सालों में यह संकट और गहरा हो सकता है।