तिथि – दिन: शनिवार, 30 अगस्त 2025
- सप्तमी तिथि आरंभ: 29 अगस्त 2025 रात्रि ~8:21–8:25 बजे से (विभिन्न स्रोतों में सूचनाएं थोड़ी अलग हैं—एक अनुसार 8:21 PM और अन्य में 8:25 PM
- तिथि समाप्ति: 30 अगस्त 2025 रात्रि ~10:46 बजे तक
Santan Saptami : इस बार की तिथि व शुभ मुहूर्त. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस तिथि की शुरुआत 29 अगस्त, रात 8:25 के लगभग शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 30 अगस्त, रात 10:46 के लगभग समाप्त होगी. इसके अनुसार 2025 में संतान सप्तमी व्रत 30 अगस्त 2025, रविवार को मनाया जाएगा.
संतान सप्तमी व्रत का महत्व
संतान सप्तमी व्रत संतान (Santan Saptami) और उसकी मंगलकामना के लिए रखा जाता है. इस व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है. इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों ही रख सकते हैं. संतान सप्तमी के दिन भगवान सूर्य (Lord Surya) की भी पूजा की जाती है. संतान की सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को सबसे उत्तम माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन का व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है, संतान दीर्घायु होती है और उनके सभी दुखों का नाश होता है।
जानिए पूजन विधि
– सबसे पहले सुबह-सुबह उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शंकर की पूजा करें. साथ में भगवान शंकर के पूरे परिवार और नारायण के पूरे परिवार की भी पूजा करें. निराहार सप्तमी व्रत का संकल्प लें।
– दोपहर में चौक पूरकर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, सुपारी तथा नारियल आदि से फिर से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करें।
– सप्तमी तिथि के व्रत में नैवेद्य के रूप में खीर-पूरी तथा गुड़ के पुए बनाए जाते हैं.
– संतान की रक्षा की कामना करते हुए शिवजी को कलावा चढ़ाएं और बाद में इसे खुद धारण करें. इसके बाद व्रत कथा सुनें।
2025 में संतान साते कब है?
संतान सप्तमी व्रत (Santan Saptami) माताएं अपने संतान के सुखी जीवन व लंबी आयु के लिए रखती हैं. पंचांग के अनुसार यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाता है, जोकि 30 अगस्त 2025 को है. हर साल संतान सप्तमी का व्रत राधा अष्टमी के एक दिन पहले और जन्माष्टमी के 14 दिन बाद मनाया जाता है।
संतान सप्तमी व्रत की संपूर्ण कथा क्या है?
भगवान श्रीकृष्ण ने एक बार पांडु पुत्र युधिष्ठिर को भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के महत्व को बताते हुए कहा था कि इस दिन व्रत करके सूर्य देव और लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से संतान की प्रप्ति होती है। भगवान ने बताया कि इनकी माता देवकी के पुत्रों को कंस जन्म लेते ही मार देता था।
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