India Diplomacy: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी आक्रमण ने एक बार फिर भारत को वैश्विक मंच पर सशक्त प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित किया। आक्रमण में 26 नागरिकों की जान जाने के बाद भारत ने न सिर्फ़ सैन्य प्रतिक्रिया दी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक मोर्चा भी संभाला। भारत ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को दुनियाभर के 33 देशों की राजधानियों में भेजा, ताकि दुनिया को आतंकवाद पर हिन्दुस्तान का रुख स्पष्ट किया जा सके।
पनामा में भारत की कूटनीतिक पहल
India Diplomacy: इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में पनामा पहुंचा। वहां की संसद अध्यक्ष डाना कास्टानेडा से मुलाकात में शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा, “हम सभी दलों से हैं, लेकिन आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट हैं।”
शशि थरूर ने आगे कहा कि अब आतंकवादियों को यह समझ में आने लगा है कि उन्हें अपने कार्यों की मूल्य चुकानी होगी। भारत अब आतंकवाद का जवाब देने में पीछे नहीं हटता, चाहे वह 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक हो या 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक।

सैन्य कार्रवाई और उसका संदेश
पहलगाम आक्रमण के दो हफ्ते बाद, भारत ने 6 मई की रात पाकिस्तान और POK में नौ आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। इसका प्रयोजन केवल बदला नहीं, बल्कि यह दिखाना था कि भारत अब आतंकी आक्रमणों को चुपचाप सहन नहीं करेगा। भारत का यह स्पष्ट संदेश था: आतंकवाद की कोई भी घटना बिना दंड के नहीं जाएगी।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख चेहरे
इस प्रतिनिधिमंडल में कई राजनीतिक दलों के सांसद और विशेषज्ञ शामिल थे:
- शशि थरूर (Congress)
- तेजस्वी सूर्या (BJP)
- मिलिंद देवरा (Shiv Sena)
- भुवनेश्वर कलिता (BJP)
- शशांक मणि त्रिपाठी (BJP)
- सरफराज अहमद (झामुमो)
- तरनजीत संधू (पूर्व राजदूत)
इन सभी नेताओं ने दुनिया को बताया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ़ कड़ा रुख अपनाए हुए है और वह सिर्फ़ प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक कदम उठा रहा है।