Hind Ocean में सुनामी और भूकंप के लिए अर्ली अलर्ट सिस्टम लगाएगा भारत

By Anuj Kumar | Updated: June 27, 2025 • 11:09 AM

नई दिल्ली। भारत हिंद महासागर (Hind Ocean) स्मार्ट सुनामी और भूकंप के लिए अर्ली अलर्ट सिस्टम लगाने की तैयारी में है। इसके लिए समुद्र के अंदर 275 किलोमीटर लंबी केबल बिछेगी। यह सिस्टम समुद्र में होने वाली भूकंप की गतिविधियों और अन्य खतरों का पता लगाने के वर्तमान तरीके को बदल सकता है। यह पहल फिलहाल रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) के चरण में है और हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र ऑपरेट कर रहा है।

करीब 2,500 मीटर की गहराई में बिछाया जाएगा

इस पहल का मकसद मौजूदा अलर्ट सिस्टम की सीमाओं से आगे बढ़कर ज्यादा स्मार्ट और विश्वसनीय बनाना है। अभी का सिस्टम मुख्य रूप से समुद्र की सतह पर तैरने वाले बॉयस (अलर्ट सिस्टम) पर निर्भर है। इन केबल को अंडमान द्वीप समूह से लेकर भूकंप के लिए सक्रिय अंडमान-निकोबार सबडक्शन जोन (जहां दो टेक्टॉनिक प्लेट्स टकराती हैं) तक करीब 2,500 मीटर की गहराई में बिछाया जाएगा। इस केबल में बॉटम प्रेशर रिकॉर्डर, सीस्मोमीटर, टिल्ट मीटर और हाइड्रोफोन जैसे कई तरह के सेंसर लगे हैं, जो समुद्र में होने वाले भूकंप और अन्य खतरों की रियल टाइम मॉनीटरिंग करने वाले है। यह सिस्टम हिंद महासागर से लंबे समय तक डेटा इकट्ठा करने में मदद करेगा।

साथ ही क्लाइमेट रिसर्च और तूफानी लहरों के अर्ली अलर्ट सिस्टम के उद्देश्यों की स्टडी में सहायता करेगा। नया सिस्टम ज्यादा विश्वसनीय आईएनसीओआईएस के निदेशक टी.एम. बालकृष्णन नायर कहते हैं कि वर्तमान में इस क्षेत्र की निगरानी इसतरह के बॉयस से होती है, जिसमें बॉटम प्रेशर रिकॉर्डर और सतही बॉयस होते हैं। हालांकि, ये बॉयस पर्यावरण की अलग-अलग परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील होते हैं और इनका रखरखाव कठिन होता है। नया सिस्टम ज्यादा विश्वसनीय होगा और हाई बैंडविड्थ वाले भूकंप के आंकड़े सीधे तटीय स्टेशनों तक पहुंचाएगा।

क्या होता है सबडक्शन ज़ोन

अंडमान-निकोबार सबडक्शन ज़ोन वह स्थान है, जहां टेक्टॉनिक रूप से सक्रिय भारतीय प्लेट, यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसती है। इसी प्रक्रिया की वजह से ही अंडमान और निकोबार द्वीप बने थे और यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से भूकंप की गतिविधियों का केंद्र रहा है। साल 2004 में आए अंडमान-सुमात्रा भूकंप के दौरान इस इलाके के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में लंबी-चौड़ी दरार पड़ी थी। जिस कारण विनाशकारी सुनामी आई थी।

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