देश की सीमाओं पर हर हालात से निपटने के लिए भारतीय सेना युद्ध जैसी परिस्थितियों में अभ्यास कर रही है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सेना ने अगली पीढ़ी की रक्षा तकनीकों का परीक्षण शुरू कर दिया है। ड्रोन, मानव रहित विमान (UAV), राडार और आधुनिक बम प्रणाली जैसे उपकरणों की क्षमताएं जांची जा रही हैं। रक्षा मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि यह युद्धाभ्यास देश के कई हिस्सों में एक साथ चल रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से राजस्थान का पोखरण, उत्तर प्रदेश का बबीना और उत्तराखंड का जोशीमठ शामिल हैं।
हर उपकरण का रियल टाइम मूल्यांकन किया जा रहा है।
इन अभियानों में तकनीकी परीक्षण महज प्रयोग नहीं बल्कि असली युद्ध जैसी परिस्थिति में किया जा रहा है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जब असली चुनौती सामने आए तो हमारी सेना हर कोण से तैयार हो। ड्रोन से लेकर अडवांस बम तक, हर उपकरण का रियल टाइम मूल्यांकन किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सेना अत्याधुनिक तकनीकों को परख रही है और यह देखने का प्रयास कर रही है कि युद्ध के दौरान इनका प्रदर्शन कैसा रहेगा। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश के बबीना में “मेक इन इंडिया” के तहत विकसित स्वदेशी रक्षा प्रणालियों का अवलोकन किया। यह न केवल देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रमाण है बल्कि भविष्य के रक्षा निर्यात की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
रक्षा निर्माण इकाइयों की अहम भूमिका
इस पूरे युद्धाभ्यास में बड़ी संख्या में रक्षा निर्माण कंपनियां भी भाग ले रही हैं। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा विकसित किए गए उपकरणों और प्रणालियों को युद्ध के मैदान में परखने का यह एक दुर्लभ मौका है। इससे इन कंपनियों को भी जरूरी फीडबैक मिलेगा और यह तय किया जा सकेगा कि उपकरणों में और क्या सुधार किया जा सकता है।
ऑपरेशन शील्ड के तहत सीमाओं पर मॉक ड्रिल
सेना ने सीमावर्ती राज्यों में ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत भी मॉक ड्रिल शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य है सीमा पार से आने वाले खतरे की हर आशंका का जवाब तैयार रखना। यह अभ्यास दुश्मन की हरकतों का मुकाबला करने की रणनीति का हिस्सा है।
आगरा और गोपालपुर में होंगे वायु रक्षा प्रणाली के डेमो
रक्षा मंत्रालय के अनुसार विशेष वायु रक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन आगरा और गोपालपुर में किया जाएगा। यह प्रणाली खासतौर पर हवाई हमलों से देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विकसित की जा रही हैं।इसका इस्तेमाल आने वाले समय में एयर डिफेंस के लिए बहुत अहम साबित होगा।
इलेक्ट्रॉनिक सिमुलेशन से तकनीक की हो रही जांच
इन परीक्षणों के दौरान विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सिमुलेशन को एक साथ जोड़कर यह जांचा जा रहा है कि नई विकसित तकनीकें युद्ध के दौरान किस हद तक प्रभावी होंगी। प्रत्येक उपकरण को बारीकी से परखा जा रहा है ताकि इसकी अंतिम तैनाती से पहले हर तकनीकी कमी को ठीक किया जा सके।
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