मस्कट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर के मध्य में ओमान (Oman) का दौरा करने वाले हैं। यह दौरा भारत की मध्य पूर्व नीति के लिए बेहद सामरिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उम्मीद है कि भारत और ओमान के बीच रक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा से जुड़े अहम समझौते हो सकते हैं। इसी बीच ऐसी चर्चाएँ भी तेज हैं कि चीन (China) ओमान में नौसैनिक अड्डा स्थापित करने की कवायद में जुटा है, जिससे भारत और अमेरिका (America) दोनों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
ओमान में नौसैनिक अड्डा बनाने की कोशिश में चीन
ओमान में चीन का कोई आधिकारिक नौसैनिक अड्डा नहीं है, लेकिन उसने इस दिशा में रुचि दिखाई है। चीन की विशेष नजर दुकम बंदरगाह पर है, जहां उसके बड़े पैमाने पर निवेश हैं। चीनी नौसैनिक पोत अक्सर एंटी-पायरेसी ऑपरेशन और अन्य गतिविधियों के दौरान ओमानी बंदरगाहों पर आकर रुकते हैं और फिर लौट जाते हैं। हालांकि, अब तक ओमान ने चीन को कोई स्थायी सैन्य आधार नहीं दिया है।
दुकम में चीन का विशाल निवेश
ओमान में चीन की बढ़ती उपस्थिति रणनीतिक निवेशों पर आधारित है। चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को ओमान के विजन 2040 से जोड़कर कई बड़े प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं।
इस साझेदारी का केंद्र है चीन-ओमान (दुकम) इंडस्ट्रियल पार्क, जो 10.7 अरब डॉलर की मेगा परियोजना है।
इसमें शामिल हैं—
- तेल रिफाइनरी
- मेथनॉल प्लांट
- सौर उपकरण निर्माण इकाइयाँ
- लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग हब
यह निवेश दुकम को मध्य पूर्व के बड़े औद्योगिक और लॉजिस्टिक केंद्र में बदल रहा है।
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दुकम बंदरगाह चीन के लिए क्यों अहम
दुकम बंदरगाह चीन की “String of Pearls” रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है—
एक ऐसा नेटवर्क, जिसके जरिए चीन महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
दुकम चीन को—
- होर्मुज जलडमरूमध्य के पास रणनीतिक पहुँच
- मध्य पूर्व में सप्लाई चेन सुरक्षा
- अमेरिकी नौसैनिक प्रभुत्व से कम प्रभावित क्षेत्र
प्रदान करता है।
ओमान चीन के लिए रणनीतिक क्यों
ओमान की भौगोलिक स्थिति—
अरब सागर और हिंद महासागर तक सीधी पहुँच—
चीन को एक विशाल समुद्री गलियारा उपलब्ध करा सकती है।
चीन के युद्धपोत पहले से ही सुल्तान काबूस पोर्ट पर रुककर ईंधन और सप्लाई लेते हैं। यह वेस्ट एशिया में बीजिंग की लॉजिस्टिक उपस्थिति को मजबूत करता है।
भारत के लिए दौरे का महत्व
ओमान भारत का पुराना सामरिक साझेदार है। भारत को ओमान के बंदरगाहों पर लॉजिस्टिक और नौसैनिक सुविधाएँ मिलती रही हैं। पीएम मोदी का यह दौरा—
- चीन की बढ़ती गतिविधियों
- मध्य पूर्व की अस्थिरता
- और हिंद महासागर में शक्ति-संतुलन
को ध्यान में रखते हुए और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
भारत इस दौरे में अपनी नौसैनिक पहुँच, रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी और रणनीतिक समन्वय को और मजबूत कर सकता है।
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