भारत के लिए चुनौती
नई दिल्ली: चीन(China) का खुद को ‘विकासशील देश’ बताने का मुखौटा भारत के लिए कई तरह से एक बड़ी चुनौती है। जब चीन(China) जैसी विशाल और दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था(Economy) वाला देश, जो एक वैश्विक महाशक्ति है, खुद को विकासशील मानता है, तो वह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का फायदा उठाता है। इसका मतलब है कि उसे टैरिफ और सब्सिडी जैसे विशेष लाभ मिलते रहते हैं, जो असल में विकासशील देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए दिए जाते हैं।
व्यापार में अनुचित प्रतिस्पर्धा
चीन(China) का यह कदम भारत जैसे देशों के लिए एक अनुचित प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाता है। भारत भी एक विकासशील देश है और उसी श्रेणी के तहत WTO में व्यापार करता है। लेकिन, भारत को चीन जैसे एक शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला करना पड़ता है, जो उसी ‘विकासशील’ टैग का इस्तेमाल कर रियायतें लेता है। चीन(China) अपनी आर्थिक ताकत और सरकारी सब्सिडी का उपयोग करके सस्ते उत्पादों का उत्पादन करता है, जिससे भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजारों में मुकाबला नहीं कर पाते हैं।
वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर दबाव
यह स्थिति वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए भी जटिल है। विकसित देश और भारत जैसे अन्य विकासशील देश लंबे समय से यह तर्क देते रहे हैं कि चीन की विशाल अर्थव्यवस्था को अब विशेष छूट की जरूरत नहीं है। चीन(China) का यह ‘मुखौटा’ WTO के नियमों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाता है। यह दर्शाता है कि कैसे कुछ देश नियमों का फायदा उठाकर अपने हितों की रक्षा करते हैं, जबकि अन्य देशों को एक समान खेल का मैदान नहीं मिलता।
WTO सुधारों में बाधा
चीन(China) का यह रुख WTO में सुधारों को भी धीमा करता है। अमेरिका जैसे देश चाहते हैं कि चीन अपनी ‘विकासशील’ स्थिति का लाभ उठाना बंद करे ताकि वैश्विक व्यापार को और अधिक निष्पक्ष बनाया जा सके। चीन(China) का यह कहना कि वह भविष्य में ‘विशेष और अलग व्यवहार’ (SDT) की मांग नहीं करेगा, एक सकारात्मक कदम लगता है, लेकिन उसकी ‘विकासशील’ पहचान बरकरार रखने की जिद WTO की मूलभूत संरचना और उद्देश्यों पर सवाल उठाती है। इससे सुधारों की गति धीमी होती है और भारत जैसे देशों को अपनी आवाज बुलंद करने के लिए और अधिक प्रयास करने पड़ते हैं।
चीन को ‘विकासशील देश’ का दर्जा रखने से क्या लाभ मिलता है?
‘विकासशील देश’ का दर्जा रखने से विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चीन(China) को टैरिफ और सब्सिडी जैसी विशेष छूटें मिलती हैं, जिससे वह अपने उत्पादों को वैश्विक बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बना पाता है।
भारत और अन्य विकसित देश चीन के इस कदम का विरोध क्यों करते हैं?
भारत और अन्य देश इस कदम का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को अब इन छूटों की आवश्यकता नहीं है। यह अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा करता है और वैश्विक व्यापार नियमों की विश्वसनीयता को कमजोर करता है।
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