टोक्यो, 29 अगस्त 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ ने न केवल भारत, बल्कि जापान (Japan) की अर्थव्यवस्था को भी गहरी चोट पहुंचाने की आशंका पैदा कर दी है। 6 अगस्त 2025 को भारतीय वस्तुओं पर 25% और रूस से तेल आयात पर 50% टैरिफ की घोषणा के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ा है। ठीक इसी तरह, जापान भी अमेरिका के व्यापारिक दबाव का सामना कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टोक्यो दौरे से पहले जापान ने एक सख्त कदम उठाते हुए अपने व्यापार वार्ताकारों का अमेरिका दौरा रद्द कर दिया। जापानी व्यापार वार्ताकार रयोसेई अकाजावा ने गुरुवार को आखिरी समय में अपनी अमेरिका यात्रा रद्द की, जिससे जापान-अमेरिका संबंधों में दरार की आशंका बढ़ गई है। इस कदम ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए बने क्वाड (भारत, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया) गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जापान का सख्त रुख और निवेश पर संकट
जापान के इस फैसले ने अमेरिका को प्रस्तावित 550 अरब डॉलर के निवेश पैकेज पर अनिश्चितता ला दी है। ट्रंप प्रशासन ने व्यापार में रियायत के बदले जापान से इस भारी-भरकम निवेश की मांग की थी। जापान का यह कदम न केवल आर्थिक, बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्वाड के ढांचे को कमजोर कर सकता है।
क्वाड, जिसे 2017 में पुनर्जनन मिला, पिछले पांच वर्षों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण फ्रेमवर्क और रणनीतियों का आधार रहा है। लेकिन अमेरिका के टैरिफ युद्ध ने क्वाड के सदस्य देशों के बीच विश्वास को झटका दिया है।
ऑस्ट्रेलिया की चीन से नजदीकी
क्वाड का चौथा सदस्य ऑस्ट्रेलिया भी अमेरिका के टैरिफ दबाव से प्रभावित हुआ है। पिछले महीने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने चीन का दौरा किया और दोनों देशों ने व्यापारिक तनाव को कम करने की दिशा में कदम उठाए। ऑस्ट्रेलिया, जो अपनी अर्थव्यवस्था के लिए काफी हद तक चीनी बाजार पर निर्भर है, ने टैरिफ युद्ध के बीच चीन के साथ सुलह को प्राथमिकता दी। यह कदम क्वाड के एकजुट मोर्चे को और कमजोर करता है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया अब चीन के साथ अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता दे रहा है।
भारत की कूटनीतिक चालबाजी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा (29 अगस्त 2025) के बाद उनकी आगामी चीन यात्रा (1 सितंबर 2025) शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए अहम है। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की दिल्ली यात्रा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल की चीन यात्राओं (दिसंबर 2024, जून 2025) ने भारत-चीन संबंधों में सुधार का माहौल बनाया है।
SCO बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का व्यक्तिगत स्वागत इस नई कूटनीतिक गर्मजोशी का प्रतीक है। भारत का यह रुख अमेरिका को यह संदेश देता है कि वह अपनी आर्थिक और रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखेगा।
क्वाड का भविष्य और वैश्विक प्रभाव
अमेरिका के टैरिफ युद्ध ने क्वाड के मूल उद्देश्य—चीन के प्रभाव को संतुलित करना—को कमजोर कर दिया है। भारत और जापान, जो क्वाड के मजबूत स्तंभ हैं, अब वैकल्पिक रणनीतियों की तलाश में हैं। जापान का 10 ट्रिलियन येन का भारत में निवेश और भारत-चीन के बीच बढ़ता व्यापारिक सहयोग इस बात का संकेत है कि दोनों देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बचाने के लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं।
क्वाड के कमजोर पड़ने से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन पर असर पड़ सकता है, जिससे चीन को रणनीतिक लाभ मिल सकता है।
अमेरिका के टैरिफ युद्ध ने भारत और जापान को एक साझा चुनौती दी है, जिसके जवाब में दोनों देश अपनी कूटनीतिक और आर्थिक रणनीतियों को फिर से परिभाषित कर रहे हैं। जापान का अमेरिका दौरा रद्द करना और भारत की चीन के साथ बढ़ती नजदीकी इस बात का संकेत है कि क्वाड के सामने गंभीर संकट है। यह स्थिति न केवल भारत-अमेरिका और जापान-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर रही है, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में भी नए समीकरण बना रही है।
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