इजराइल और मुस्लिम देशों के संबंध सामान्य करने की पहल
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में घोषणा की है कि कजाकिस्तान, एक और मुस्लिम देश, अब्राहम(Abraham) समझौते में शामिल होने वाला है। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य इजराइल और मुस्लिम देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाना है। ट्रम्प ने बताया कि कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट टोकायेव(Kasym Jomart Tokayev) की उपस्थिति में उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू(Benjamin Netanyahu) से फोन पर बात की है और जल्द ही इस समझौते पर हस्ताक्षर समारोह की तारीख घोषित की जाएगी। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका सेंट्रल एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जहाँ रूस और चीन की मजबूत मौजूदगी है। कजाकिस्तान के शामिल होने से अमेरिका को उम्मीद है कि गाजा युद्ध के कारण रुकी हुई यह प्रक्रिया अब फिर से गति पकड़ेगी।
अब्राहम समझौते का उद्देश्य और वर्तमान स्थिति
अब्राहम(Abraham) समझौते की शुरुआत 2020 में हुई थी, जिसके तहत इजराइल और कुछ अरब देशों ने आधिकारिक तौर पर दोस्ताना संबंध स्थापित करने का फैसला किया था। इस समझौते का नाम पैगंबर अब्राहम के नाम पर रखा गया है, जिन्हें यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों धर्मों का पैगंबर माना जाता है। इस समझौते से जुड़े देशों, जैसे UAE, बहरीन और मोरक्को, ने इजराइल में दूतावास खोलने, व्यापार, सैन्य और तकनीकी साझेदारी बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की थी। हालाँकि, गाजा में इजराइल और हमास के बीच चल रही जंग का सीधा असर इस समझौते की प्रगति पर पड़ा है। युद्ध के कारण यह प्रक्रिया ठप हो गई थी, और सऊदी अरब जैसे देश, जो समझौते में शामिल होने के करीब थे, ने फिलिस्तीनियों के लिए देश का रास्ता साफ हुए बिना कोई समझौता न करने की शर्त रखी है।
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गाजा युद्ध का समझौते पर प्रभाव
गाजा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत और तबाही के कारण मुस्लिम देशों में इजराइल के खिलाफ भारी गुस्सा है। ऐसे माहौल में कोई भी मुस्लिम देश खुलकर इजराइल से रिश्ते सामान्य करने की घोषणा नहीं करना चाहता, जिससे समझौते की प्रक्रिया धीमी पड़ गई है। कजाकिस्तान के शामिल होने की घोषणा महत्वपूर्ण है क्योंकि उसके और इजराइल के बीच पहले से राजनयिक संबंध मौजूद हैं। कजाकिस्तान सरकार ने इसे “विदेश नीति के स्वाभाविक विस्तार” और “आपसी सम्मान और क्षेत्रीय स्थिरता” पर आधारित बताया है। अमेरिका को उम्मीद है कि कजाकिस्तान के शामिल होने से अब्राहम समझौते को नई गति मिलेगी और अन्य देश भी इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।
अब्राहम समझौता क्या है और इसे यह नाम क्यों दिया गया?
अब्राहम(Abraham) समझौता वह राजनयिक पहल है जिसके तहत 2020 में इजराइल और कुछ अरब देशों ने आधिकारिक रूप से दोस्ताना संबंध स्थापित करने का फैसला किया था। इसे अब्राहम नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि वह यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों धर्मों के पैगंबर माने जाते हैं, जो शांति और सहयोग के संदेश को दर्शाता है।
गाजा युद्ध का अब्राहम समझौते पर क्या असर पड़ा है?
गाजा युद्ध के कारण अब्राहम समझौते की प्रक्रिया ठप हो गई थी। युद्ध में हुई मौतों और तबाही के चलते मुस्लिम देशों में इजराइल के प्रति भारी गुस्सा है। सऊदी अरब जैसे महत्वपूर्ण देश ने फिलिस्तीन विवाद का समाधान हुए बिना समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया है, जिससे समझौते का विस्तार रुका हुआ था।
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