इस्लामाबाद। पाकिस्तान इन दिनों अपने इतिहास के सबसे गंभीर संवैधानिक और संस्थागत संकट से जूझ रहा है। मौजूदा सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का तीन साल का मूल कार्यकाल 29 नवंबर 2025 को समाप्त हो चुका है, लेकिन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Sahbaz Shariff) अब तक उन्हें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDF) के रूप में नियुक्त करने वाली अधिसूचना पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। इसके लिए वे जानबूझकर विदेश में डेरा डाले हुए हैं।
शहबाज की विदेश यात्रा ने बढ़ाई आशंकाएँ
सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ और भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSB) के सदस्य तिलक देवाशेर के मुताबिक, जैसे ही 29 नवंबर की तारीख नजदीक आई, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पहले बहरीन और फिर लंदन चले गए। उनका स्पष्ट इरादा—आसिम मुनीर को पांच साल का विस्तार देने वाली अधिसूचना से बचना—पाकिस्तानी राजनीतिक हलकों में खुले प्रतिरोध के रूप में देखा जा रहा है। अधिसूचना नहीं जारी होने के कारण पाकिस्तान एक असाधारण स्थिति में है—तकनीकी रूप से 29 नवंबर के बाद देश के पास कोई वैधानिक सेना प्रमुख नहीं है। न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी भी प्रमुखहीन है, क्योंकि नया ‘स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड’ ढांचा इसी अधिसूचना से जुड़ा था। यह स्थिति एक परमाणु हथियार संपन्न देश के लिए बेहद खतरनाक मानी जा रही है।
कानूनी पेच: क्या कार्यकाल अपने आप बढ़ गया?
2024 में पारित पाकिस्तान आर्मी एक्ट संशोधन के अनुसार सेना प्रमुख का कार्यकाल अब सीडीएफ के बराबर यानी पाँच साल होगा। लेकिन कानूनी विशेषज्ञ दो हिस्सों में बंटे हुए हैं—
- कुछ का दावा है कि ‘डीम्ड क्लॉज’ के तहत आसिम मुनीर का कार्यकाल स्वतः पाँच वर्ष हो गया है।
- दूसरी राय है कि बिना प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर वाली नई अधिसूचना के यह नियम लागू नहीं हो सकता।
यह विवाद अदालत तक पहुँच सकता है, जिससे स्थिति और अनिश्चित हो सकती है।
रावलपिंडी में हलचल, सेना में अंदरूनी खींचतान के संकेत
सूत्रों के अनुसार रावलपिंडी के सेना मुख्यालय में असामान्य गतिविधि बढ़ गई है। कई वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल नए सेना प्रमुख या नवसृजित चार सितारा पदों के लिए सक्रिय हो गए हैं।यदि अधिसूचना जल्द जारी नहीं हुई तो सेना के भीतर सत्ता संघर्ष शुरू होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री की जारी विदेश यात्रा ने इस संकट को और गहरा कर दिया है।
विशेषज्ञों की चेतावनी: स्थिति ज्यादा दिन नहीं चल सकती
तिलक देवाशेर ने चेतावनी दी कि यह स्थिति लंबे समय तक बनाए नहीं रखी जा सकती। एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बिना सेना प्रमुख और न्यूक्लियर कमांड स्ट्रक्चर के नहीं चल सकता। सरकार की चुप्पी और अस्पष्ट बयानबाजी से अटकलें और तेज हो गई हैं। हर गुजरते दिन पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य ढांचे में अस्थिरता गहराती जा रही है। फिलहाल पूरा देश इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि प्रधानमंत्री लंदन से कब लौटेंगे और क्या वे आसिम मुनीर के भविष्य से जुड़ी अधिसूचना पर हस्ताक्षर करेंगे या नहीं। यह संकट न सिर्फ पाकिस्तानी सेना की एकता बल्कि पूरे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है।
पाकिस्तान में शाहबाज कौन है?
मियां मुहम्मद शहबाज़ शरीफ़ (जन्म 23 सितंबर 1951) एक पाकिस्तानी राजनेता और व्यवसायी हैं, जिन्होंने मार्च 2024 से पाकिस्तान के 20वें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया है, इससे पहले वे अप्रैल 2022 से अगस्त 2023 के बीच इस पद पर रह चुके हैं।
शहबाज शरीफ़ का जन्म कब हुआ था?
शहबाज शरीफ (जन्म 23 सितंबर, 1951, लाहौर, पाकिस्तान) एक पाकिस्तानी व्यवसायी और राजनीतिज्ञ हैं, और अपने परिवार के दूसरे भाई हैं जो प्रधानमंत्री (2022-23; 2024-) के रूप में सेवा कर रहे हैं।
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