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Nepal: भारत-चीन व्यापार पर नेपाल की आपत्ति

Dhanarekha
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Nepal: भारत-चीन व्यापार पर नेपाल की आपत्ति

लिपुलेख दर्रे को लेकर विवाद तेज

बीजिंग: नेपाल(Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन की राजधानी बीजिंग(Beijing) में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग(Xi Jinping) से मुलाकात की और भारत-चीन सीमा व्यापार में लिपुलेख के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई। ओली का कहना है कि यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और इस पर किसी तरह का समझौता स्वीकार्य नहीं होगा

जिनपिंग संग बैठक और नेपाल का रुख

ओली ने बैठक में नेपाल-चीन संबंधों को और मजबूत करने की बात कही। उन्होंने चीन से विकास परियोजनाओं, उर्वरक आपूर्ति, ऊर्जा और जलवायु क्षेत्र में सहयोग का आग्रह किया। इस मौके पर उन्होंने चीन के निरंतर सहयोग के लिए आभार भी जताया और नेपाल को एससीओ में सदस्यता दिलाने का समर्थन मांगा।

हालांकि, लिपुलेख दर्रे के मसले पर उन्होंने कड़ा रुख अपनाया। ओली ने जिनपिंग से कहा कि भारत और चीन के बीच इस क्षेत्र से व्यापार की घोषणा नेपाल की संप्रभुता पर सवाल उठाती है। इससे पहले काठमांडू में भी नेपाल ने औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई थी।

भारत का जवाब और नेपाल की दलील

भारत ने नेपाल(Nepal) के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि लिपुलेख से व्यापार 1954 से चलता आ रहा है और यह ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित है। उनका कहना था कि कोविड-19 और अन्य कारणों से बाधित यह व्यापार अब दोबारा शुरू किया गया है।

वहीं, नेपाली विदेश मंत्रालय का कहना है कि महाकाली नदी के पूर्व का पूरा क्षेत्र — लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी — नेपाल का अभिन्न हिस्सा है। इसे नेपाल के आधिकारिक नक्शे और संविधान में भी शामिल किया गया है।

लिपुलेख पर नेपाल क्यों आपत्ति कर रहा है?

नेपाल(Nepal) का कहना है कि लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी उसके अभिन्न हिस्से हैं। इसलिए भारत-चीन व्यापार में इस क्षेत्र का इस्तेमाल उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है।

भारत ने नेपाल के दावे पर क्या कहा है?

भारत का कहना है कि लिपुलेख से व्यापार 1954 से होता आ रहा है। यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और किसी भी एकतरफा दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

नेपाल और चीन की बैठक में और क्या चर्चा हुई?

प्रधानमंत्री ओली ने चीन से विकास परियोजनाओं, उर्वरक आपूर्ति, जलवायु और मानव संसाधन क्षेत्र में सहयोग मांगा। साथ ही, उन्होंने नेपाल की एससीओ सदस्यता के लिए जिनपिंग से समर्थन की मांग की।

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