इस्लामाबाद,। पाकिस्तान और अफगानिस्तान (Afganistan) के बीच शांति वार्ता होने से पहले पाकिस्तान ने खुली चेतावनी दे दी है। दोनों मुल्कों के बीच पहले दौर की वार्ता 18 और 19 अक्टूबर को दोहा में हुई थी। इसके बाद 25 अक्टूबर को इस्तांबुल (Istambul) में दूसरी वार्ता कई दिनों तक चली, लेकिन सीमा पार आतंकवाद के प्रमुख मुद्दे पर कोई नतीजा नहीं निकल सका। दोनों देशों के बीच शांति बहाल करने के लिए तुर्किए और कतर मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं।
सीमा पार आतंकवाद पर पाकिस्तान का तीखा आरोप
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने काबुल (Kabul) पर आतंकवादियों को पनाह देने और सीमा पार हमलों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, अफगानिस्तान ने पाकिस्तान द्वारा आम नागरिकों पर किए गए ड्रोन हमलों की निंदा की है।
पत्रकार के सवाल पर आसिफ का जवाब – “युद्ध होगा”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब एक पत्रकार ने पूछा कि अगर सैन्य टकराव ही आखिरी विकल्प बचा तो क्या होगा? इस पर आसिफ ने जवाब दिया, “युद्ध होगा”। खास बात यह है कि यह बयान तुर्की में होने वाली अगली वार्ता से ठीक पहले सामने आया है।
टीटीपी पर अफगानिस्तान को घेरा
अक्तूबर में आसिफ ने अफगान तालिबान के इस दावे को खारिज किया कि टीटीपी के आतंकवादी ‘पाकिस्तानी शरणार्थी’ हैं जो अफगानिस्तान में रहने के बाद वापस लौट रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि ये लोग भारी हथियारों से लैस होकर खुलेआम नहीं, बल्कि दुर्गम रास्तों से चोरी-छिपे पाकिस्तान में कैसे घुस रहे हैं? आसिफ ने इसे अफगानिस्तान की “दुर्भावना और कपटपूर्ण रवैया” बताया।
टीटीपी को समर्थन बंद किए बिना नहीं सुधरेंगे संबंध: पाकिस्तान
आसिफ ने कहा कि जब तक काबुल सरकार टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) को समर्थन देना बंद नहीं करती, तब तक पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंध सामान्य नहीं हो सकते। वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने कहा कि पाकिस्तान तनाव बढ़ाना नहीं चाहता, लेकिन अपनी सुरक्षा को लेकर सख्त रुख अपनाने को मजबूर है।
पाकिस्तान का पुराना नाम क्या था?
पाकिस्तान का पुराना नाम ‘पाकस्तान’ था, जिसे 1933 में चौधरी रहमत अली ने गढ़ा था। यह नाम पंजाब, अफगानिस्तान, कश्मीर, सिंध और बलूचिस्तान जैसे ब्रिटिश-भारतीय प्रांतों के शुरुआती अक्षरों को मिलाकर बनाया गया था।
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