रूस और यूक्रेन के बीच जंग खत्म होती नहीं दिख रही। रूस (Russia) का यूक्रेन पर लगातार हमला जारी है। इससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) खिसिया गए हैं और अब उन्होंने रूस पर और प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है।
ट्रंप की सख्त चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) और वैश्विक शांति को चुनौती देता रहा तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश और सख्त आर्थिक कदम उठाएंगे। पहले चरण में रूस के बैंकों, बड़ी कंपनियों और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर रोक लगाई गई थी।
भारत पर सीधा असर
अगर अमेरिका दूसरे चरण का प्रतिबंध लगाता है तो भारत पर बड़ा असर पड़ेगा। भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है। 2025 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंचा। सस्ते दाम पर मिले रूसी तेल से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें काबू में रहीं। लेकिन अब पेमेंट सिस्टम बंद हुआ तो भारत को रुपया-रूबल व्यापार पर और निर्भर रहना पड़ेगा।
अमेरिका के सामने अड़े भारत-रूस-चीन
रूस-यूक्रेन युद्ध तीन साल से अधिक समय से जारी है। ट्रंप ने वादा किया था कि वे इसे खत्म करेंगे, मगर अब तक सफल नहीं हुए। इस बीच भारत, रूस और चीन ने भी अमेरिका की गीदड़भभकी का जवाब देने की तैयारी कर ली है। एससीओ समिट में ये तिकड़ी साफ कर चुकी है कि वे अमेरिका के सामने नहीं झुकेंगे।
सेकेंडरी सैंक्शंस का असर
दूसरे चरण के प्रतिबंध मुख्य रूप से ‘सेकेंडरी सैंक्शंस’ होंगे। ये रूस से तेल और ऊर्जा खरीदने वाले देशों को टारगेट करेंगे। भारत और चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जा सकते हैं। पहले ही ट्रंप भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा चुके हैं, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है।
रूस के ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्र पर नई चोट
अमेरिका का मकसद रूस की तेल आय को और कम करना है। दूसरे चरण में रूस के प्रमुख वित्तीय संस्थानों और ऊर्जा कंपनियों को टारगेट किया जाएगा। पहले से ही कई प्रतिबंधों ने रूस की वैश्विक बाजारों तक पहुंच और ऋण लेने की क्षमता को सीमित कर दिया है।
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