21 साल की जेल और हत्याओं के आरोप में मौत की सज़ा
ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना(Sheikh Hasina) को देश की अदालतों से दो गंभीर झटके लगे हैं। उन्हें भ्रष्टाचार के तीन अलग-अलग मामलों में कुल 21 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई है, जबकि एक अन्य मामले में मानवता के खिलाफ अपराधों(Crimes) के लिए मौत की सज़ा भी सुनाई गई है। ये फ़ैसले बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में एक असाधारण घटना है, जो सत्ता के दुरुपयोग पर न्यायिक जवाबदेही को दर्शाते हैं।
भ्रष्टाचार के मामलों में 21 साल की जेल की सज़ा
जमीन आवंटन में दुरुपयोग: शेख हसीना(Sheikh Hasina) को सरकारी जमीन के अवैध आवंटन से जुड़े तीन मामलों में दोषी ठहराया गया है। उन पर आरोप था कि उन्होंने ढाका के पास पुरबाचल न्यू टाउन प्रोजेक्ट में अपने और परिवार के लिए प्लॉट प्राप्त किए, जबकि वे इसके लिए पात्र नहीं थीं।
सज़ा की प्रकृति: हर केस में उन्हें 7-7 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई है। अदालत ने आदेश दिया है कि ये तीनों सज़ाएँ लगातार चलेंगी, जिससे उनकी कुल सज़ा 21 साल हो गई है। यह फैसला सत्ता के दुरुपयोग पर न्यायपालिका के सख्त रुख को दर्शाता है।
मानवता के खिलाफ अपराधों में मौत की सज़ा का फैसला
छात्र आंदोलन की हत्याओं का आरोप: ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने शेख हसीना को 17 नवंबर को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सज़ा सुनाई। ट्रिब्यूनल ने उन्हें जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड घोषित किया।
पूर्व गृह मंत्री भी दोषी: इसी मामले में, उनके साथ दूसरे आरोपी, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी हत्याओं का दोषी माना गया और उन्हें भी फाँसी की सज़ा सुनाई गई है।
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तख्तापलट के बाद भारत में निवास
देश छोड़ना: शेख हसीना(Sheikh Hasina) और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान दोनों ने 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट होने के बाद बांग्लादेश छोड़ दिया था।
वर्तमान स्थिति: ये दोनों नेता पिछले 15 महीने से भारत में रह रहे हैं। इन गंभीर न्यायिक फैसलों के बाद, इन नेताओं की कानूनी स्थिति और उनकी भारत में उपस्थिति एक बड़ा राजनयिक और राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा शेख हसीना को मौत की सज़ा सुनाए जाने का मुख्य कारण क्या है?
ICT ने उन्हें जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड घोषित करते हुए मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी पाया, जिसके कारण उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई।
भ्रष्टाचार के मामलों में 21 साल की जेल की सज़ा का मतलब क्या है जब सजाएँ लगातार चलेंगी?
लगातार सज़ाएँ का मतलब है कि एक सज़ा खत्म होने के बाद ही दूसरी सज़ा शुरू होगी। शेख हसीना के मामले में, उन्हें तीन अलग-अलग मामलों में 7-7 साल की सज़ा मिली है, जो जुड़कर कुल 21 साल की सज़ा बनती है।
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