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Britain : बीमित राशि 5.4 करोड़ पाने के लिए सर्जन ने कटवा लिए पैर

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Britain : बीमित राशि 5.4 करोड़ पाने के लिए सर्जन ने कटवा लिए पैर

ब्रिटेन (Britain) में एक सर्जन पर बेहद चौंकाने वाला आरोप लगा है। कोर्ट में बताया गया कि 49 वर्षीय डॉक्टर नील हॉपर्स ने बीमा क्लेम (Insurance Claim) के लिए अपने दोनों पैरों को जानबूझकर कटवा लिया। इस मामले ने ब्रिटिश मेडिकल जगत और आम लोगों को हैरान कर दिया है। डॉक्टर पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे हैं और उनका मेडिकल रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया गया है

Britain : कोर्ट में पेश साक्ष्यों के अनुसार, डॉक्टर हॉपर्स ने अपने बीमा पॉलिसी के तहत कुल 5.4 करोड़ रुपये (करीब 500,000 पाउंड) पाने के लिए अपने दोनों पैरों की सर्जिकल कटिंग कराई। उन्होंने दो बीमा कंपनियों अरिवा ग्रुप और ओल्ड म्युचुअल से क्रमशः 2.3 करोड़ और 2.3 करोड़ रुपये के क्लेम की योजना बनाई थी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें सेप्सिस (खून में संक्रमण) के कारण अपने पैर गंवाने पड़े।

जांच में हुआ खुलासा

Britain : जांच में सामने आया कि डॉक्टर हॉपर्स ने “द इयूनच मेकर” नाम की वेबसाइट से अंगों को काटने से जुड़े वीडियो खरीदे थे। इतना ही नहीं, उन्होंने एक ‘एक्सट्रीम बॉडी मॉडिफिकेशन रिंग’ चलाने वाले मारियस गुस्तावसन को दूसरों के शरीर के अंग काटने के लिए उकसाया और उसका समर्थन किया। यह आरोप 2018 से 2020 के बीच की घटनाओं से जुड़ा है।

गंभीर आरोप, कोर्ट में लंबी सुनवाई की तैयारी

डॉक्टर हॉपर्स पर न सिर्फ खुद को नुकसान पहुंचाने का आरोप है, बल्कि यह भी कहा गया है कि उन्होंने जानबूझकर दूसरों को भी शारीरिक क्षति पहुंचाने के लिए प्रेरित किया। उनके खिलाफ ‘गंभीर शारीरिक क्षति पहुंचाने में सहायता या प्रोत्साहन’ का मामला चल रहा है। पुलिस की पूछताछ और सबूतों के आधार पर मामले की सुनवाई आगे जारी है।

सरकारी अस्पताल से सस्पेंड

हॉपर्स वर्ष 2013 से रॉयल कॉर्नवाल हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट में सेवा दे रहे थे, लेकिन मार्च 2023 में गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। अस्पताल प्रबंधन ने साफ किया कि डॉक्टर हॉपर्स के खिलाफ पेश आरोपों का उनके पेशेवर व्यवहार से कोई लेना-देना नहीं है और अब तक मरीजों की सुरक्षा को लेकर कोई खतरा नहीं पाया गया है।

पैर कटने के बाद मैं ज्यादा एक्टिव

बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में डॉक्टर हॉपर्स ने बताया कि वो कई बार लोगों की सर्जरी करते हैं और जब उनके पैरों की बारी आई तो उन्हें खुद पर पावर टूल्स का इस्तेमाल अजीब लगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें तीन महीने में चलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने तीन घंटे में ही चलना शुरू कर दिया। मैं यह कहने से नफरत करता हूं, लेकिन मैं अपने पैर खोने के बाद पहले से ज्यादा एक्टिव हूं। 

क्या फायदा है बीमा का ?

बीमा न केवल सुरक्षा जाल प्रदान करता है, बल्कि निवेश से जुड़ी योजनाओं के माध्यम से दीर्घकालिक धन संचय में भी सहायता करता है, जिससे सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित होता है। बीमा पॉलिसियां आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कर-बचत लाभ के साथ आती हैं, जिससे वे कर देयता को कम करने के लिए मूल्यवान साधन बन जाती हैं।

बीमा की शुरुआत कब हुई थी?

1818: भारत की धरती पर पहली जीवन बीमा कंपनी ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने काम करना शुरू किया। 1870: पहली भारतीय जीवन बीमा कंपनी बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसाइटी ने अपना कारोबार शुरू किया। 1912: भारतीय जीवन बीमा कंपनी अधिनियम जीवन बीमा व्यवसाय को विनियमित करने वाला पहला कानून बना।

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