वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald trump) अपनी ही नीतियों और बयानों के कारण अक्सर खुद को मुश्किल स्थिति में डाल लेते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण यूएस–सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में देखने को मिला, जहां ट्रंप ने एच-1बी वीजा का खुलकर बचाव किया।
ट्रंप का U-टर्न: H-1B वीजा का किया समर्थन
फोरम में ट्रंप ने कहा कि विदेशी हाई-स्किल्ड कामगार अमेरिका (America) की टेक इंडस्ट्री के लिए जरूरी हैं। उनका यह बयान उनकी पार्टी के कई कंजर्वेटिव नेताओं की नाराजगी का कारण बना है।
भारतीयों के लिए बड़ा संकेत
ट्रंप का यह बयान भारत के लिए अहम है, क्योंकि एच-1बी वीजा (H-1B Visa) धारकों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की है। ट्रंप ने कहा कि टेक्नोलॉजी, चिप मैन्युफैक्चरिंग और हाई-टेक सेक्टर विदेशी विशेषज्ञता के बिना आगे नहीं बढ़ सकते।
टेक इंडस्ट्री के लिए विदेशी विशेषज्ञ अनिवार्य : ट्रंप
ट्रंप ने कहा कि अरबों डॉलर के चिप प्लांट सिर्फ बेरोजगार लाइन से लोगों को लाकर नहीं चलाए जा सकते। कंपनियों को ऐसे विशेषज्ञ चाहिए जिन्हें पहले से तकनीकी अनुभव हो और जो स्थानीय कर्मचारियों को ट्रेन कर सकें।
दक्षिणपंथियों का पुराना विरोध, ट्रंप का नया रुख
अमेरिका में दक्षिणपंथी एच-1बी को लंबे समय से अमेरिकी कामगारों के खिलाफ मानते हैं। उनका दावा है कि कंपनियां सस्ते विदेशी कामगार लाकर स्थानीय इंजीनियरों की नौकरियां छीन लेती हैं। ट्रंप भी पहले कई बार इस वीजा पर सवाल उठा चुके थे, लेकिन अब उन्होंने साफ संकेत दिया कि विदेशी स्किल्ड वर्कर्स अमेरिका की जरूरत हैं।
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