Tejas crash : HAL तेजस विमान दुर्घटना की जांच जारी है, लेकिन अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि दुर्घटना से पहले पायलट ने इजेक्ट क्यों नहीं किया या कर क्यों नहीं पाया।
तेजस विमान एयर शो में लो-लेवल ऐरोबैटिक प्रदर्शन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इतनी कम ऊंचाई पर विमान का नियंत्रण टूटने पर पायलट के पास इजेक्शन के लिए बहुत कम समय बचता है। वायुसेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी गठित कर दी है, लेकिन अभी तक यह नहीं बताया गया है (Tejas crash) कि पायलट ने इजेक्ट करने की कोशिश की थी या सीट सक्रिय हुई थी या नहीं।
दुर्घटना में जान गंवाने वाले पायलट विंग कमांडर नमांश स्याल थे। तेजस में लगने वाली मार्टिन बेकर Mark-16 इजेक्शन सीट सामान्य तौर पर हाई-G स्थितियों में भी काम करने के लिए प्रमाणित है। लेकिन इजेक्शन सफल होने के लिए कई चीजें अनिवार्य होती हैं—जैसे ऊंचाई, गति, विमान की स्थिति, संरचना की मजबूती, और पायलट की प्रतिक्रिया।
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लो-एल्टिट्यूड ऐरोबैटिक फ्लाइट में कुछ ही सेकंड में स्थिति बदल जाती है। ऐसे में यदि इजेक्शन भी ट्रिगर किया जाए तो पैराशूट पूरी तरह खुलने के लिए पर्याप्त ऊंचाई नहीं मिल पाती, जिसके कारण पायलट की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती।
एक अन्य संभावना यह भी है कि विमान में अचानक कोई तकनीकी खराबी, स्ट्रक्चरल फेलियर या कंट्रोल सिस्टम की समस्या आई हो, जिससे पायलट इजेक्ट कर ही न सका। यदि विमान अत्यंत तेजी से नोज़-डाइव में चला जाए या उल्टी दिशा में हो तो इजेक्शन सिस्टम का लॉजिक भी प्रभावित होता है। दुर्घटना का कारण अभी तक आधिकारिक रूप से नहीं बताया गया है।
दुर्घटनाग्रस्त विमान तेजस Mk1 मॉडल था। यह नियमित प्रोडक्शन वर्ज़न है और इसके इजेक्शन सिस्टम में किसी तरह के विशेष बदलाव की जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है कि पायलट इजेक्ट क्यों नहीं कर पाए। इसका असर न सिर्फ पायलट सेफ़्टी सिस्टम पर बल्कि तेजस कार्यक्रम की इंटरनेशनल इमेज और भविष्य की फ्लाइट-डिस्प्ले नीतियों पर भी पड़ सकता है। यदि यह साबित होता है कि कम ऊंचाई या तकनीकी कारणों से इजेक्ट करना संभव नहीं था, तो आगे प्रोटोकॉल में बदलाव किए जा सकते हैं।
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