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Latest News : क्या एक डॉलर के सिक्के पर होगा डोनाल्ड ट्रंप का चेहरा?

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Latest News : क्या एक डॉलर के सिक्के पर होगा डोनाल्ड ट्रंप का चेहरा?

एक नई राजनीतिक चर्चा की शुरुआत

हाल ही में कुछ राजनीतिक हलकों और ट्रंप (Trump) समर्थकों के बीच यह विचार सामने आया है कि डोनाल्ड ट्रंप का चेहरा अमेरिकी एक डॉलर के सिक्के पर छापा जाए। हालांकि अभी तक यह कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं है, फिर भी इस विचार ने मीडिया और आम जनता में चर्चा को जन्म दे दिया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीर वाले एक (dollar coins) डॉलर के सिक्के का प्रस्ताव दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया है। यह सिक्का 2026 में अमेरिका की आजादी की 250वीं सालगिरह के मौके पर जारी किया जा सकता है। लेकिन इस प्रस्ताव ने न सिर्फ सियासी हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि प्राचीन रोमन सिक्कों के अध्ययन करने वालों के बीच भी बहस छेड़ दी है। इतिहासकारों का कहना है कि ऐसा ही कुछ 2000 साल पहले रोम में हुआ था, जब सिक्कों पर जीवित लोगों की तस्वीरें छापने की शुरुआत हुई और रोमन गणतंत्र का पतन हो गया

कैसा हो सकता है ट्रंप के चेहरे वाला सिक्का?

प्रस्तावित सिक्के के एक तरफ (जिसे ‘ओबवर्स’ कहते हैं) ट्रंप का चेहरा होगा, और दूसरी तरफ (जिसे ‘रिवर्स’ कहते हैं) उनकी मुट्ठी उठाए हुए तस्वीर होगी, और साथ में ‘फाइट, फाइट, फाइट’ शब्द लिखे होंगे। यह सिक्का अमेरिका की आजादी की 250वीं सालगिरह के जश्न का हिस्सा हो सकता है। लेकिन अमेरिका का एक पुराना कानून कहता है कि किसी जीवित व्यक्ति की तस्वीर को सरकारी बॉन्ड, नोट्स या करेंसी पर नहीं छापा जा सकता। अगर यह सिक्का बनता है, तो यह कानून का तकनीकी रूप से उल्लंघन नहीं करेगा, लेकिन यह पुरानी परंपराओं को जरूर तोड़ेगा।

रोमन गणतंत्र में क्या था सिक्कों का इतिहास?

प्राचीन रोम में सिक्कों पर जीवित लोगों की तस्वीरें छापना एक बड़ा बदलाव था। रोम की स्थापना के बाद, लगभग 509 ईसा पूर्व में वहां गणतंत्र की शुरुआत हुई। उस समय तक सिक्कों पर केवल देवी-देवताओं या पौराणिक चरित्रों की तस्वीरें होती थीं। लेकिन दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के अंत में रोमन जनरल गायस मारियस और उनके प्रतिद्वंद्वी लूसियस कॉर्नेलियस सुल्ला ने कई परंपराओं को तोड़ा। 

सुल्ला ने 88 ईसा पूर्व में रोम पर अपनी सेना के साथ कब्जा किया और गृह युद्ध जीता। इसके बाद, 82 से 79 ईसा पूर्व तक उसने तानाशाही की, जो आमतौर पर सिर्फ 6 महीने के लिए होती थी। सुल्ला ने अपने दुश्मनों की एक लिस्ट बनाई, जिसमें सैकड़ों या शायद हजारों लोग मारे गए। उसने अपने दुश्मनों की संपत्ति भी जब्त की। उसी दौरान, 82 ईसा पूर्व में एक चांदी का सिक्का जारी हुआ, जिसके एक तरफ सुल्ला की चार घोड़ों वाले रथ में सवार तस्वीर थी। यह पहली बार था जब किसी जीवित व्यक्ति की तस्वीर रोमन सिक्के पर छपी।

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जूलियस सीजर ने तोड़ी और भी परंपराएं

सुल्ला के बाद, 44 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर ने और बड़ा कदम उठाया। उनकी हत्या से कुछ महीने पहले, सिक्कों पर उनका चेहरा छापा गया, जिसमें कुछ सिक्कों पर ‘डिक्टेटर परपेचुओ’ यानी ‘आजीवन तानाशाह’ लिखा था। सीजर ने 46 से लेकर 44 ईसा पूर्व तक लगातार कांसुल का पद संभाला, जो सामान्य रूप से एक साल के लिए होता था।

उस समय कई लोगों को लगा कि सीजर गणतंत्र को राजशाही की ओर ले जा रहे हैं। जब जनता ने उन्हें ‘रेक्स’ (राजा) कहकर पुकारा, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैं सीजर हूं, कोई राजा नहीं।’ लेकिन उनके सिक्के उनकी ताकत और गणतंत्र की परंपराओं को चुनौती देने का प्रतीक बन गए।

ट्रंप और रोम के तानाशाहों में क्या समानता है?

इतिहासकारों का कहना है कि ट्रंप और रोम के सुल्ला-सीजर के बीच कई समानताएं हैं। ट्रंप ने अपनी सत्ता के दौरान 9 महीने से भी कम समय में 200 से ज्यादा कार्यकारी आदेश जारी किए, जबकि उनके पूर्ववर्ती जो बाइडेन ने पूरे कार्यकाल में 162 आदेश दिए। ट्रंप का आपातकालीन आदेशों के तहत शहरों में संघीय सैनिक भेजना भी ‘तानाशाही’ रवैया दिखाता है। 

ट्रंप के सिक्के का प्रस्ताव भी कुछ ऐसा ही है। शायद ट्रंप ने खुद इसकी मांग नहीं की, लेकिन उनके समर्थकों ने माहौल को भांपते हुए यह प्रस्ताव रखा, और ट्रंप ने इसका विरोध नहीं किया। यह ठीक वैसा ही है, जैसा सीज़र के समय में हुआ था।

डोनाल्ड ट्रम्प कौन हैं?

जॉन ट्रम्प (जन्म 14 जून, 1946) एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ, मीडिया व्यक्तित्व और व्यवसायी हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति हैं। रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य, उन्होंने 2017 से 2021 तक 45वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।

डोनाल्ड ट्रंप किस धर्म के हैं?

पालन-पोषण उनकी स्कॉटिश मूल की मां के प्रेस्बिटेरियन धर्म में हुआ और उन्होंने अपने वयस्क जीवन के अधिकांश समय सार्वजनिक रूप से इसी धर्म को अपनाया, जिसमें 2016 का राष्ट्रपति अभियान भी शामिल है।

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