नई दिल्ली। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा, कि किसी भी देश ने यह नहीं कहा है कि उन्होंने ईरान (IRAN) ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। आरोप हैं, संदेह है, लेकिन उन्होंने उल्लंघन नहीं किया है। किसी ने यह नहीं कहा है कि उन्होंने बम बनाया है, लेकिन हम उन्हें प्रौद्योगिकी तैयार करने से कैसे रोक सकते हैं। इजराइल और ईरान संघर्ष में अमेरिका की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर अंसारी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के प्रशासन से निपटने के बारे में बात की।
उन्होंने कहा, ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, इसलिए आपको उनसे निपटना ही होगा, आप यह नहीं कह सकते कि आप उनसे निपट नहीं सकते। उनका काम करने का एक खास तरीका है और दुनिया अब धीरे-धीरे उसे समझने लगी है। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ईरान पर अमेरिका और इजरायल की हालिया सैन्य कार्रवाई को मंगलवार को ‘अवैध आक्रमण’ करार दिया। एक सप्ताह से अधिक समय पहले शुरू हुए संघर्ष के दौरान इजरायल और ईरान ने एक-दूसरे के शहरों और सैन्य तथा सामरिक प्रतिष्ठानों पर सैकड़ों मिसाइल और ड्रोन दागे हैं।
अमेरिका की बमबारी के बाद तनाव काफी बढ़ गया
ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर रविवार सुबह अमेरिका की बमबारी के बाद तनाव काफी बढ़ गया। पूर्व राजनयिक अंसारी ने एक इंटरव्यू में कहा कि आक्रामकता का मूल कारण इजरायल के नेतृत्व का ईरान के साथ संबंधों के प्रति दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा, वे बिना लाग-लपेट के साफ़-साफ़ कह रहे हैं कि ईरानियों के नेतृत्व को अवश्य ही बदलना चाहिए। इसलिए यह युद्ध इजरायल द्वारा रचा गया।
अंसारी ने युद्ध के लिए अमेरिका को भी दोषी ठहराया
अंसारी ने युद्ध के लिए अमेरिका को भी दोषी ठहराया। पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, इसे स्वीकार किया गया है। यह अमेरिका के सहयोग से किया गया था और यह एक आक्रामक युद्ध था। इसमें कोई दो राय नहीं है। यह एक आक्रामक युद्ध था, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध कहा जाना चाहिए। अंसारी ने कहा कि ईरान का नेतृत्व स्थिर है और उसे अपने लोगों का समर्थन हासिल है। उन्होंने ईरान की वैज्ञानिक प्रगति और परमाणु क्षमताओं सहित प्रौद्योगिकी विकसित करने के उसके अधिकार पर जोर दिया और कहा कि इसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने वाला नहीं बताया जाना चाहिए।
अंसारी ने कहा कि अमेरिका के साथ दोस्ती होनी चाहिए
अंसारी ने कहा कि अमेरिका के साथ दोस्ती होनी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो कहा जाए वही किया जाए। पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, भारत और ईरान के बीच बहुत पुराना रिश्ता है और इसमें बहुत मजबूती है। इसलिए, इस रिश्ते को आसानी से नहीं तोड़ा जाना चाहिए। यह हमारे और ईरान के हित में है। जब भी मौका आया है, ईरान ने हमारी मदद की है। जब भी मौका आया है, हमने ईरान की मदद की है।’’उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमें इस रिश्ते को सावधानी से संभालना होगा। हमें इसे छोटी-छोटी बातों पर खराब नहीं करना चाहिए। हमारी एक पारंपरिक नीति रही है।
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