छात्र राजनीति: 13 मई 2025 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी के उपलक्ष्य में तिरंगा मार्च का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारत सरकार के “राष्ट्र प्रथम” अभियान के अंतर्गत किया गया था। रैली की आरंभ सेंटेनरी गेट से हुई और डीएसडब्ल्यू लॉन पर समाप्त हुई। इस रैली में कुलपति प्रो. मजहर आसिफ और रजिस्ट्रार प्रो. महताब आलम रिजवी (Prof. Md Mahtab Alam Rizvi) ने भाग लिया।
कुलपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM. Narendra Modi) के नेतृत्व की सराहना की और विद्यार्थियों को देश सेवा के लिए प्रेरित किया। रैली के दौरान ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए गए और सैन्य कार्रवाई की कामयाबी का जश्न मनाया गया।
AISA ने तिरंगा मार्च को बताया ‘युद्धोन्मादी मानसिकता’
छात्र राजनीति: हालांकि, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने इस रैली का तीखा विरोध किया। AISA का कहना है कि तिरंगा मार्च जामिया प्रशासन की युद्धोन्मादी सोच का प्रतीक है। संगठन का मानना है कि सैन्य कार्रवाई का उत्सव मनाना उन निर्दोष लोगों का अपमान है जो युद्ध की आग में झुलसते हैं।
AISA ने आरोप लगाया कि पहलगाम हमले के बाद देशभर में मुस्लिमों और कश्मीरियों के विरुद्ध नफरत की घटनाएं बढ़ी हैं। APCR की प्रतिवेदन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के 184 घटनाएं प्रविष्ट की गई हैं, जिनमें मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया।
सरकार और मीडिया पर लगाए गंभीर आरोप
AISA ने बीजेपी की आईटी सेल और कॉरपोरेट मीडिया पर झूठ फैलाने का इलजाम लगाया। उनका कहना है कि झूठे नैरेटिव बनाकर युद्ध को महिमामंडित किया जा रहा है। साथ ही यह भी कहा गया कि सरकार की ओर से शांति की आवाजों को दबाने की कोशिश हो रही है।
संगठन का मानना है कि लोकतांत्रिक संस्थानों को सरकार की भक्ति का केंद्र नहीं बल्कि बहस, असहमति और विचार-विमर्श का मंच होना चाहिए।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर उठाए सवाल
AISA ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर सवाल उठाते हुए पूछा कि पहलगाम आक्रमणों के दोषियों का क्या हुआ? सीमा पर मारे गए नागरिकों के मुआवजे पर चुप्पी क्यों है? और अमेरिका द्वारा संघर्ष विराम की पेशकश पर हिन्दुस्तान की क्या प्रत्युत्तर रही?
संगठन ने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कई निर्दोष नागरिक मारे गए, जिनकी कोई जवाबदेही तय नहीं हुई।
AISA का निवेदन: शांति और लोकतंत्र की राह पर चलें
अंत में AISA ने सभी छात्रों और शिक्षकों से निवेदन किया कि वे युद्ध, शत्रुता और अन्याय की राजनीति का प्रतिपक्ष करें और शांति, न्याय व लोकतंत्र के समर्थन में आवाज़ उठाएं।