जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र संघ चुनाव 2025 में इस बार बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिला है। लंबे वक़्त से वामपंथी दलों का गढ़ माने जाने वाले जेएनयू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने दृढ़ प्रदर्शन करते हुए कई विशिष्ट सीटों पर जीत दर्ज की है।
आईसा-डीएसएफ गठबंधन की उपाध्यक्ष पद पर जीत
उपाध्यक्ष पद के लिए आईसा-डीएसएफ गठबंधन की मनीषा ने अद्भुत जीत हासिल की है। उन्हें कुल 1150 वोट मिले जबकि एबीवीपी की प्रत्याशी नीतू को केवल 116 वोटों पर संतोष करना पड़ा। इससे उपाध्यक्ष पद पर वामपंथी प्रभाव बरकरार रहा है।
संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी का परचम
एबीवीपी के वैभव मीणा ने संयुक्त सचिव पद पर वामपंथी गठबंधन को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस विजय के साथ ही एबीवीपी ने यह साबित कर दिया कि जेएनयू के छात्र समुदाय में राष्ट्रवादी सोच को व्यापक मंजूरी मिल रही है।

वैभव मीणा ने अपनी विजय को जनजातीय चेतना और राष्ट्रवादी विचारधारा की विजय बताया। उन्होंने कहा कि वह छात्र हितों की रक्षा, अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और समरस लोकतांत्रिक मूल्यों के हिफाजत हेतु पूरी निष्ठा से काम करेंगे।
जेएनयू चुनाव: वामपंथी गढ़ में एबीवीपी की सेंध
इस बार एबीवीपी ने जेएनयू के 16 स्कूलों और अलग-अलग केंद्रों के कुल 42 काउंसलर पदों में से 24 सीटों पर जीत हासिल की है। विशेष रूप से स्कूल ऑफ सोशल साइंस और स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में दो-दो सीटों पर विजय हासिल कर एबीवीपी ने वामपंथी शासन को गहरी चुनौती दी है।
एबीवीपी नेताओं की प्रतिक्रिया
एबीवीपी जेएनयू इकाई अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा कि यह जीत न केवल एबीवीपी के अथक परिश्रम का परिणाम है, बल्कि शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का आधार मानने वाले विद्यार्थियोंकी की जीत है। यह नतीजा एकपक्षीय विचारधारा के खिलाफ लोकतांत्रिक बदलाव का प्रतीक है।