Kerala: ‘आशा कार्यकर्ताओं के लिए बोलने से रोका’

By digital | Updated: May 1, 2025 • 4:40 PM

केरल कलामंडलम की चांसलर ने अभिव्यक्ति की आजादी पर उठाए सवाल

केरल कलामंडलम की चांसलर मलिका साराभाई ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन पर अपनी राय रखने के बाद उन्हें चुप रहने की सलाह दी गई। उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक बताया।

त्रिशूर प्रसिद्ध नृत्यांगना, सामाजिक कार्यकर्ता और केरल कलामंडलम की चांसलर मल्लिका साराभाई ने अपनी नई शैक्षणिक भूमिका में उनके बोलने की आजादी पर रोक लगाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चांसलर बनने के बाद मुझे खुलकर बोलने की आजादी नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर किए गए एक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि आज मुझे समझ आया कि विश्वविद्यालय की चांसलर होना क्या होता है। उन्होंने कहा कि अब मुझे समझ आ रहा है कि अब मुझे खुलकर बोलना मना है। बता दें कि मल्लिका साराभाई को 6 दिसंबर 2022 को केरल कलामंडलम (कला एवं संस्कृति के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय) का चांसलर नियुक्त किया गया था।

आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन का समर्थन 

मल्लिका साराभाई की यह टिप्पणी त्रिशूर में चल रहे आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन के विषय में आई है, जहां ये महिलाएं बेहतर वेतन और काम की स्थिति की मांग कर रही हैं। साराभाई ने इन कार्यकर्ताओं के प्रति समर्थन जताते हुए कहा कि महिलाएं बहुत महत्वपूर्ण काम करती हैं लेकिन उन्हें बहुत कम वेतन मिलता है और उनका शोषण होता है। 

मल्लिका साराभाई ने लगाए आरोप

क्या अब मैं खुद को रोक लूं?- मल्लिका साराभाई

ऑनलाइन विरोध में शामिल हो सकतीं हैं मल्लिका


गौरतलब है कि केरल कलामंडलम की चांसलर मल्लिका साराभाई के इन आरोपों पर अभी तक न तो वामपंथी सरकार और न ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई प्रतिक्रिया दी है। हालांकि आशा कार्यकर्ताओं के एक नेता ने मल्लिका साराभाई के समर्थन का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि वह गुरुवार शाम ऑनलाइन विरोध में शामिल होंगी।

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