मानसून के तेज होने के साथ ही निवासियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं
कोत्तागुडेम। गोदावरी (Godavari) के प्रकोप से भद्राचलम शहर को बचाने के लिए बनाए गए तटबंध को कई हिस्सों में भारी क्षति पहुंची है, जिससे मानसून के तेज होने के साथ ही निवासियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं। हाल ही में हुई बारिश के बाद, पुल के केंद्र से कोठा कॉलोनी के ऊपरी हिस्से तक सुरक्षा दीवार का 50 मीटर का हिस्सा ढह गया। इसके अलावा, तीन किलोमीटर लंबे तटबंध के कई हिस्सों में छेद हो गए हैं, जबकि पेड़ों और झाड़ियों सहित जंगली वनस्पतियों ने इसकी संरचना को और कमज़ोर कर दिया है। स्थानीय लोगों को डर है कि अगर जलस्तर 72 फीट तक पहुँच गया, तो तटबंध गोदावरी की बाढ़ का सामना नहीं कर पाएगा। गौरतलब है कि बाढ़ सुरक्षा (flood protection) को मज़बूत करने के लिए कुछ साल पहले 80 फीट ऊँचे तटबंध के ऊपर तीन फीट की सुरक्षा दीवार बनाई गई थी।
राज्य सरकार को तुरंत करनी चाहिए कार्रवाई
बीआरएस भद्राचलम निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारी माने रामकृष्ण ने कहा कि अधिकारियों ने स्थायी मरम्मत शुरू करने के बजाय, केवल कामचलाऊ उपाय के तौर पर रेत की बोरियाँ रखी हैं। उन्होंने आग्रह किया, ‘राज्य सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि अगर जलस्तर 70 फ़ीट तक भी बढ़ जाए, तो भी भद्राचलम सुरक्षित रहे।’ माकपा जिला सचिव माचा वेंकटेश्वरलू ने इस निष्क्रियता की आलोचना करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती खम्मम जिले से तीन मंत्री होने के बावजूद, निवारक कदम नहीं उठाए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव, हाल ही में भद्राचलम के दौरे के दौरान, तटबंध के टूटे हुए हिस्से का निरीक्षण करने में विफल रहे। उन्होंने कहा, ‘यह निचले इलाकों के प्रति कांग्रेस सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।’

तेलंगाना के निवासी ही खतरे मे
कोठा कॉलोनी, एएमसी कॉलोनी और अयप्पा कॉलोनी समेत कई इलाके पिछले सालों में तटबंध के बावजूद जलमग्न रहे हैं। अब जब दीवार आंशिक रूप से ढह गई है, तो इन संवेदनशील इलाकों के निवासियों की चिंता बढ़ती जा रही है। वेंकटेश्वरलू ने कहा कि पार्टी ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘सिंचाई अधिकारी दावा कर रहे हैं कि क्षतिग्रस्त हिस्सा आंध्र प्रदेश के क्षेत्र में आता है और तेलंगाना के फंड से इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि तेलंगाना के निवासी ही खतरे में हैं। कोठा कॉलोनी और अयप्पा कॉलोनी में नालों की तत्काल मरम्मत भी ज़रूरी है।’
भद्राचलम का इतिहास क्या है?
तेलंगाना का एक पवित्र नगर भद्राचलम है, जो भगवान श्रीराम के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इसका इतिहास रामायणकालीन माना जाता है और भक्त भद्र की तपस्या से जुड़ा है।
भद्राचलम का दूसरा नाम क्या है?
दक्षिण का अयोध्या भद्राचलम का दूसरा नाम है। यह नाम इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहाँ भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर है और यह स्थल रामभक्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
भद्राचलम में राम मंदिर कहाँ स्थित है?
राम मंदिर गोदावरी नदी के तट पर भद्राचलम में स्थित है। यह मंदिर तेलंगाना राज्य के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में स्थित है और प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।
Read Also : Politics : हरीश राव ने की गुजरात पुल हादसे को लेकर केंद्र की आलोचना