दुनिया के कई भागों में जारी सैन्य संघर्षों, दक्षिण-चीन सागर में चीन की आक्रामकता और अमेरिकी टैरिफ (Americi Tarrif) की वजह से मची हुई आर्थिक उथल-पुथल के बीच सिंगापुर में बहुराष्ट्रीय अभ्यास पैसिफिक रीच-2025 (एक्सपीआर-25) की शुरुआत हो गई है। जिसमें भाग लेने के लिए भारतीय नौसेना (Indian Airforce) का नवीनतम और स्वदेशी रूप से डिजाइन के साथ निर्मित डाइविंग सपोर्ट जहाज (DSV) आईएनएस निस्तार सिंगापुर के चांगी नौसैन्य अड्डे पर पहुंच गया है।
40 देशों की नौसेनाएं ले रहीं भाग
नौसेना ने जारी एक बयान में बताया कि निस्तार जहाज सिंगापुर पहुंचा है, जहां पर यह दो चरणों (बंदरगाह और समुद्री) में आयोजित किए जा रहे एक्सपीआर युद्धाभ्यास में भाग ले रहा है। इस वर्ष इस अभ्यास में कुल करीब दुनिया के 40 से अधिक देशों की नौसेनाएं भाग ले रही हैं। इसमें कुछ देश अपने नौसैन्य बेड़े के साथ प्रत्यक्ष भागीदारी कर रहे हैं, जबकि कई अन्य पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हो रहे हैं।
युद्धाभ्यास का एजेंडा
अभ्यास सप्ताह भर तक चलेगा और इसके बंदरगाह चरण में पनडुब्बी बचाव प्रणालियों पर गहन चर्चा, विषय विशेषज्ञ आदान-प्रदान, चिकित्सा संगोष्ठी और भागीदार देशों के बीच क्रॉस डेक दौरे शामिल होंगे। वहीं समुद्री चरण में निस्तार और एसआरयू (ई) दक्षिण चीन सागर में भागीदार परिसंपत्तियों के साथ कई हस्तक्षेप और बचाव कार्यों में भाग लेंगे।
आत्मनिर्भरता का प्रतीक आईएनएस निस्तार
निस्तार जहाज नौसेना में इसी साल 18 जुलाई को कमीशन किया गया था। यह जहाज निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में देश की प्रगति का बेहतरीन उदाहरण है। इसमें 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री लगाई गई है। अपने साइड स्कैन सोनार, कार्य व अवलोकन श्रेणी के आरओवी और गहरे समुद्र में गोताखोरी प्रणालियों के साथ निस्तार डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल के लिए मदरशिप की भूमिका निभाएगा।
650 मीटर गहराई तक बचाव की क्षमता
यह जहाज समुद्र में 650 मीटर की गहराई तक बचाव कार्यों में सक्षम है। इसके साथ भारत उन देशों के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है जो समर्पित पनडुब्बी बचाव प्रणाली संचालित करते हैं।
भारत में कुल कितनी नौसेना है?
भारतीय नौसेना कुल 18 पनडुब्बियों को ऑपरेट करती है
सबसे शक्तिशाली नौसेना कौन सी है?
संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना वर्तमान में विश्व की सबसे शक्तिशाली नौसेना है, जिसकी वैश्विक उपस्थिति अद्वितीय है, सर्वाधिक विमानवाहक पोत हैं, तथा उन्नत पनडुब्बी और मिसाइल प्रणालियां हैं।
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