एक साल में 22 करोड़ लोग प्रभावित
नई दिल्ली: भारतीय जीवन बीमा निगम(LIC) के शेयर ने पिछले एक साल में 15% तक की गिरावट दर्ज की है। इस वजह से करीब 22 करोड़ से ज्यादा सार्वजनिक निवेशकों को नुकसान झेलना पड़ा है। एलआईसी के पोर्टफोलियो में शामिल 70% से अधिक कंपनियों के शेयर लाल निशान में हैं, जिनमें से कई ने 70% तक की गिरावट दर्ज की है। गुरुवार को शेयर मामूली गिरावट के साथ 876.85 रुपये पर बंद हुआ।
शेयर की स्थिति और हालिया उतार-चढ़ाव
सितंबर 2024 में एनएसई(NSE) पर 1,048.90 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद एलआईसी(LIC) का स्टॉक लगातार दबाव में है। यह फिलहाल उस शिखर से लगभग 20% नीचे आ चुका है। मार्च 2025 में यह शेयर 715.30 रुपये के निचले स्तर तक लुढ़क गया था। फिलहाल इसमें कुछ सुधार दिखा है और यह 865 रुपये के 200-दिन के सिंपल मूविंग एवरेज से ऊपर कारोबार कर रहा है, हालांकि 50-दिन के SMA यानी 904 रुपये के स्तर से अभी भी नीचे है।
बीमा क्षेत्र पर हाल में किए गए जीएसटी(GST) सुधारों का असर खास दिखाई नहीं दिया। एफएमसीजी और ऑटो उद्योग ने सरकार की टैक्स नीतियों का स्वागत किया, मगर एलआईसी के शेयर की कीमतें एक हफ्ते में मुश्किल से 1% ही बढ़ पाईं। यह दर्शाता है कि कंपनी को लेकर बाजार का भरोसा कमजोर बना हुआ है।
पोर्टफोलियो प्रदर्शन और कंपनियों की हालत
एलआईसी(LIC) के पोर्टफोलियो में शामिल अधिकांश कंपनियां भी कमजोर प्रदर्शन कर रही हैं। एेस इक्विटी के विश्लेषण के अनुसार, एलआईसी द्वारा निवेश किए गए 266 स्टॉक्स में से 70% यानी 186 कंपनियां लाल निशान में हैं। इनमें से कई स्टॉक्स 74% तक गिर गए हैं।
करीब 150 स्टॉक्स डबल डिजिट में गिरे हैं। वीएल ई-गवर्नेंस, फ्लेक्सिटफ वेंचर्स, ईजी ट्रिप प्लानर्स, जयप्रकाश एसोसिएट्स, वक्रांगी, सीमेंस और जय कॉर्प जैसे शेयर 50% से ज्यादा गिरे हैं। साथ ही पंजाब एंड सिंध बैंक, अडानी ग्रीन एनर्जी और इंडसइंड बैंक जैसे बड़े नाम भी 40% से ऊपर लुढ़के हैं।
एलआईसी के शेयर पर निवेशकों का भरोसा क्यों घटा?
पिछले एक साल में 15% गिरावट और पोर्टफोलियो की कमजोर हालत ने निवेशकों का विश्वास कम कर दिया। कंपनी का शेयर बेंचमार्क निफ्टी और सेंसेक्स से भी कमजोर प्रदर्शन कर रहा है।
क्या जीएसटी सुधार से एलआईसी को राहत मिल सकती है?
सरकार के जीएसटी सुधारों से अन्य क्षेत्रों में सकारात्मक असर दिखा, लेकिन बीमा सेक्टर और एलआईसी के शेयर में इसका लाभ नहीं दिखा। विशेषज्ञों के अनुसार कंपनी की स्थिति सुधारने के लिए लंबी अवधि तक बेहतर प्रदर्शन जरूरी होगा।
अन्य पढ़े: