अमेरिकी मंत्री बोले- रूस तेल पर सख्ती
Marco Rubio: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो(Marco Rubio) ने कहा कि चीन पर प्रतिबंध न लगाने का कारण उसकी रिफाइनिंग क्षमता और वैश्विक बाजार पर असर है। उनके अनुसार चीन रूस(Russia) से तेल खरीदकर रिफाइन करता है और इसे यूरोप(Europe) समेत कई देशों को बेचता है। वहीं भारत पर अमेरिका ने अतिरिक्त 25% शुल्क लगाकर कुल टैरिफ 50% कर दिया है।
चीन पर क्यों नहीं लगी पाबंदी
रुबियो(Marco Rubio) ने बताया कि चीन पर पाबंदी लगाने से तेल की वैश्विक कीमतों में तेज वृद्धि हो सकती है। चीन रूस से खरीदा तेल रिफाइन कर यूरोप तक बेचता है और यूरोपीय देश इस आपूर्ति पर निर्भर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसीलिए कई यूरोपीय देशों ने सीनेट में चीन पर सख्त टैरिफ प्रस्ताव को लेकर चिंता व्यक्त की थी। साथ ही, उन्होंने कहा कि यूरोप पर सीधे प्रतिबंध नहीं लगाए जाएंगे, लेकिन सेकेंडरी सैंक्शन का असर संभव है।
रूस से क्रूड खरीद में चीन सबसे आगे है। दिसंबर 2022 से जून 2025 तक रूस के कुल निर्यात का 47% हिस्सा चीन को गया। भारत ने 38% और यूरोपीय संघ (EU) ने करीब 6% आयात किया। वहीं अमेरिका ने भी इस साल शुरुआती महीनों में रूस से 2.09 अरब डॉलर का सामान आयात किया, जो पिछले साल की तुलना में 24% अधिक है।
भारत पर सख्त अमेरिकी फैसला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ का आदेश दिया। 6 अगस्त को जारी आदेश 27 अगस्त से लागू होगा। इससे पहले भारत पर 25% टैरिफ लगाया गया था, अब यह बढ़कर 50% हो गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम रूस से भारत के तेल और हथियार खरीद के चलते उठाया गया है।
यूरोपीय संघ और तुर्किये भी रूस से LNG, उर्वरक, खनन उत्पाद और इस्पात का आयात कर रहे हैं। 2024 में यूरोपीय संघ ने रूस से 72.9 अरब डॉलर का व्यापार किया। इसके बावजूद अमेरिका ने प्राथमिक रूप से भारत को ही निशाना बनाया है। यह फैसला भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
चीन की रिफाइनिंग क्षमता का दबदबा
चीन दुनिया का सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और रिफाइनिंग हब है। 2023 में इसकी रिफाइनिंग क्षमता 936 मिलियन टन प्रतिवर्ष थी। जून 2025 में यह उत्पादन बढ़कर 15.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन पहुंच गया, जो 2023 के बाद का सबसे उच्च स्तर है। चीन रूस, सऊदी अरब (Saudi Arabia), इराक (Iraq), ओमान (Oman) और मलेशिया (Malaysia) से अधिकतर तेल आयात करता है।
रूस से आयातित तेल को चीन रिफाइन कर वैश्विक बाजारों में बेच रहा है, जिसमें यूरोप प्रमुख खरीदार है। इसी वजह से अमेरिका ने चीन पर सीधे प्रतिबंध से बचते हुए भारत पर अधिक दबाव बनाया है।
चीन पर पाबंदी क्यों नहीं लगाई गई?
अमेरिका मानता है कि चीन पर रोक लगाने से तेल की वैश्विक कीमतें बढ़ जाएंगी। चीन रिफाइनिंग में दुनिया में सबसे आगे है और यूरोप उसके जरिए रूसी तेल खरीद रहा है।
भारत पर कितना टैरिफ लगाया गया?
भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया गया है। पहले 25% शुल्क लागू था और अब अमेरिका ने 25% अतिरिक्त बढ़ाकर इसे 27 अगस्त से लागू करने की घोषणा की है।
रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार कौन है?
रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार चीन है, जिसने दिसंबर 2022 से जून 2025 तक रूस के कुल निर्यात का 47% हिस्सा खरीदा। भारत दूसरे स्थान पर है, जबकि यूरोपीय संघ और तुर्किये ने केवल 6%-6% आयात किया।
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