श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mahbooba Mufti) ने श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन कर यूएपीए के तहत जेल में बंद कैदियों की रिहाई की मांग की। इस दौरान उन्होंने “जेल नहीं, ज़मानत चाहिए” का नारा भी लगाया।
निर्दोषों के लिए उठाई आवाज
महबूबा ने कहा कि यह विरोध उन निर्दोष लोगों के लिए है जिनके परिवार मुकदमे का खर्च नहीं उठा सकते। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से आग्रह किया कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Sah) से मिलकर इन कैदियों की रिहाई पर चर्चा करें।
जेल स्थानांतरण की मांग
महबूबा ने यह भी कहा कि अगर इन कैदियों को रिहा करना संभव नहीं है, तो कम से कम उन्हें जम्मू-कश्मीर की जेलों में ही रखा जाए ताकि परिवारजन उनसे मिल सकें और उनकी देखभाल कर सकें।
उन्होंने इस पूरे मुद्दे को राजनीति नहीं बल्कि मानवता का मामला बताया।
उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया
महबूबा की इस मांग पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वे भी इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं। लेकिन श्रीनगर में विरोध करने से कोई हल नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा से जुड़े फैसले दिल्ली के गृह मंत्रालय में लिए जाते हैं, इसलिए महबूबा को सीधे दिल्ली जाकर गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करनी चाहिए।
“सिर्फ दिखावे के लिए तो कर सकती हैं विरोध”
उमर अब्दुल्ला ने तंज कसते हुए कहा कि अगर महबूबा मुफ्ती सिर्फ दिखावे के लिए विरोध कर रही हैं तो वे ऐसा कर सकती हैं, लेकिन असल समाधान के लिए उन्हें दिल्ली जाना ही होगा।
महबूबा मुफ्ती जीवन परिचय कौन है?
मुफ़्ती, मुफ़्ती मोहम्मद सईद और गुलशन आरा की बेटी हैं। उनका जन्म 22 मई 1959 को तत्कालीन भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर (अब भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के कुलगाम ज़िले में) के अनंतनाग ज़िले की नौपोरा तहसील के एक गाँव अखरान में हुआ था।
महबूबा मुफ्ती का अपहरण कब हुआ था?
1989 में, तत्कालीन भारतीय गृह मंत्रीमुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में कश्मीरी अलगाववादी आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था।
Read More :