नई दिल्ली/बीजिंग । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (XI Jinping) रविवार को तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर द्विपक्षीय बैठक करेंगे। पीएम मोदी जापान की अपनी दो दिवसीय यात्रा खत्म करने के बाद चीन पहुंचेंगे। यह पिछले सात वर्षों में पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा होगी और जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पहली मुलाकात होगी।
पिछली मुलाकात और सीमा विवाद का समाधान
दोनों नेताओं की मुलाकात इससे पहले 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हुई थी। भारत और चीन के बीच 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर गश्त को लेकर समझौते के बाद चार साल पुराना सीमा विवाद समाप्त हुआ था, जिससे इस द्विपक्षीय बातचीत का रास्ता साफ हुआ।
राजनयिक प्रयास और तैयारियां
21 अगस्त को भारत में चीन के राजदूत ने कहा था कि पीएम मोदी की तियानजिन यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नई गति देगी। इसके लिए चीन और भारत का एक संयुक्त कार्य समूह तैयारी कर रहा है। 19 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने नई दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात कर राष्ट्रपति शी जिनपिंग का संदेश सौंपा था।
पीएम मोदी का संदेश
इस मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा था कि भारत-चीन संबंध आपसी हित और संवेदनशीलता के आधार पर लगातार प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग से मुलाकात का उन्हें इंतजार है।
सीमा पर शांति और स्थिरता पर जोर
बैठक में पीएम मोदी ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और सीमा विवाद के निष्पक्ष एवं पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। पीएमओ के बयान में कहा गया कि द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली भी शामिल है।
क्षेत्रीय शांति और एससीओ की अहमियत
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति शी के निमंत्रण के लिए आभार जताया और कहा कि भारत-चीन के स्थिर व रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि में अहम योगदान देंगे।
एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई में हुई थी। इसके सदस्य देश हैं – चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस।
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