नई दिल्ली । भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और ऐसे में एक नई दवा ओजेम्पिक (Ozempic) मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई है। हाल ही में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSO) ने इसे टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए मंजूरी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के साथ-साथ वजन घटाने में भी मददगार साबित हो सकती है। इसकी खासियत यह है कि इसे सप्ताह में सिर्फ एक बार इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।
अमेरिका और यूरोप में पहले से मिल चुकी है मंजूरी
ओजेम्पिक को सबसे पहले 2017 में अमेरिका (America) और यूरोप में मंजूरी मिली थी। वहां यह दवा डायबिटीज और वेट लॉस दोनों के लिए कारगर मानी जाती है। भारत में फिलहाल इसे केवल टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए ही स्वीकृति दी गई है। अनुमान है कि यह दवा 2025 के अंत तक भारतीय बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।
कैसे काम करती है ओजेम्पिक?
ओजेम्पिक का मुख्य घटक सेमाग्लूटाइड (Semaglutide) है, जो एक जीएलपी-1 रिसेप्टर अगोनिस्ट है। यह शरीर में इंसुलिन रिलीज बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। साथ ही, यह भूख कम करता है और पाचन की प्रक्रिया को धीमा करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। हालांकि, भारत में फिलहाल इसे वेट लॉस के लिए मंजूरी नहीं मिली है।
असर और समयावधि
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओजेम्पिक का असर 2 से 4 हफ्तों में ब्लड शुगर लेवल पर दिखने लगता है, जबकि एचबीए1सी में सुधार 3 से 6 महीनों में नजर आता है।
रिसर्च के अनुसार, इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों का वजन औसतन 5 से 10 प्रतिशत तक घट सकता है, हालांकि इसका असर व्यक्ति की लाइफस्टाइल और खान-पान पर भी निर्भर करता है।
साइड इफेक्ट्स से रहें सतर्क
अन्य दवाओं की तरह ओजेम्पिक के भी कुछ साइड इफेक्ट्स हैं। शुरुआती दिनों में मरीजों को मतली, उल्टी, कब्ज या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कुछ मामलों में यह दवा पैनक्रियाटाइटिस, पित्ताशय की दिक्कत या किडनी पर असर डाल सकती है। इसलिए डॉक्टर आमतौर पर कम डोज से शुरुआत करते हैं और धीरे-धीरे इसे बढ़ाते हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि यह दवा केवल डॉक्टर की निगरानी में ही लेनी चाहिए।
कीमत और उपलब्धता
भारत में ओजेम्पिक की कीमत अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि शुरुआती दौर में यह महंगी होगी, क्योंकि यह पेटेंटेड इंपोर्टेड दवा होगी।
हालांकि, मार्च 2026 में सेमाग्लूटाइड का पेटेंट खत्म हो जाएगा। इसके बाद भारतीय दवा कंपनियां जेनेरिक वर्जन लॉन्च करेंगी, जिससे इसकी कीमतें कम होंगी और यह दवा अधिक मरीजों तक सुलभ हो सकेगी।
डायबिटीज का दूसरा नाम क्या है?
डायबिटीज को आम भाषा में “शुगर” या “रक्त शर्करा की बीमारी” कहते हैं, और इसका तकनीकी नाम मधुमेह (Diabetes Mellitus) है। यह एक दीर्घकालिक बीमारी है जिसमें शरीर रक्त में शर्करा की मात्रा को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता है।
डायबिटीज किस उम्र में होता है?
डायबिटीज (मधुमेह) किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन इसके दो मुख्य प्रकार टाइप 1 और टाइप 2 अलग-अलग उम्र में अधिक आम होते हैं। टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज अक्सर 40-45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होता है, हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
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