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Health News : फेफड़ों पर हावी हो रहा रेस्पीरेट्री सिंसेशियल वायरस

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Health News : फेफड़ों पर हावी हो रहा रेस्पीरेट्री सिंसेशियल वायरस

भोपाल। राजधानी का मौसम इन दिनों सेहत के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। कभी अचानक तेज बारिश, तो अगले ही दिन कड़ी धूप और फिर उमस—इस तरह के बार-बार बदलते मौसम ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बारिश के बाद जगह-जगह जमा गंदगी और दूषित पानी ने बीमारियों को जन्म दे दिया है। यही कारण है कि इन दिनों राजधानी में वायरस और बैक्टीरिया (Virus and Bactteria) दोनों तेजी से सक्रिय हो गए हैं।

अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की संख्या

राजधानी के प्रमुख अस्पतालों एम्स, हमीदिया और जेपी अस्पताल में बीते दो दिनों (सोमवार और मंगलवार) में ही 20 हजार से ज्यादा मरीज ओपीडी में पहुंचे, जो पिछले सप्ताह की तुलना में लगभग 4 हजार अधिक है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंकड़ा साफ तौर पर मौसमी बीमारियों के बढ़ते खतरे को दर्शाता है।

बच्चों पर सबसे ज्यादा असर

इस मौसम की मार सबसे ज्यादा छोटे बच्चों पर पड़ रही है।

  • जेपी अस्पताल की बाल रोग ओपीडी में मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में दोगुनी हो गई है।
  • इनमें से 7-8% बच्चों की हालत इतनी गंभीर है कि उन्हें तुरंत भर्ती करना पड़ रहा है।
  • इन बच्चों को सांस लेने में दिक्कत, पसलियों का चलना और तेज बुखार जैसी समस्याएं हो रही हैं।

मुख्य कारण : रेस्पीरेट्री सिंसेशियल वायरस

डॉक्टरों के अनुसार, इस समय बच्चों में फेफड़ों के संक्रमण का प्रमुख कारण रेस्पीरेट्री सिंसेशियल वायरस (RSV) है।

  • यह वायरस सामान्य तौर पर सर्दी-जुकाम जैसे हल्के लक्षण देता है।
  • लेकिन 2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
  • यह न्यूमोनिया और ब्रोंक्योलाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।

कितना खतरनाक है आरएसवी?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार—

  • हर साल दुनिया भर में करीब 30 लाख बच्चे आरएसवी वायरस से प्रभावित होते हैं।
  • इनमें से बड़ी संख्या में बच्चों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है।
  • कई मामलों में यह वायरस जीवन के लिए खतरा भी बन सकता है।

बचाव के उपाय

विशेषज्ञ मानते हैं कि समय पर सतर्कता ही इस वायरस से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है—

  • घर और आसपास साफ-सफाई बनाए रखना।
  • बच्चों को दूषित पानी और बाहर के खाने से बचाना।
  • खांसने-जुकाम वाले मरीजों से बच्चों को दूर रखना।
  • बार-बार हाथ धोने और मास्क पहनने की आदत डालना।
  • सांस लेने में तकलीफ या बुखार जैसे लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना

आरएसवी वायरस का फुल फॉर्म क्या है?

रेस्पिरेटरी सिंसिटियल (सिन-सिश-उहल) वायरस (आरएसवी) एक आम वायरस है जो नाक, गले और फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है और साँस लेना मुश्किल बना सकता है। यह तब फैलता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या किसी को चूमता है, जिससे हवा में छोटी-छोटी बूंदें निकलती हैं।

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