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Technology: UPI में आएगा नया फीचर, और भी सुरक्षित होगा डिजिटल पेमेंट

Kshama Singh
Kshama Singh
Technology: UPI में आएगा नया फीचर, और भी सुरक्षित होगा डिजिटल पेमेंट

फेस स्कैन से UPI ट्रांजैक्शन अप्रूव करने की योजना

आज के समय में लगभग हर स्मार्टफोन यूजर UPI (Unified Payments Interface) के जरिए डिजिटल पेमेंट करता है। अभी तक जब भी कोई व्यक्ति किसी को पैसे भेजता है, तो उसे 4 अंकों वाला UPI PIN डालना होता है, जो अकाउंट बनाते समय सेट किया जाता है। यह सिस्टम सुरक्षित जरूर है, लेकिन यदि किसी को आपका PIN पता चल जाए, तो वो आपके बैंक अकाउंट से पैसे निकाल सकता है। ऐसे फ्रॉड के मामले सामने आ चुके हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए NPCI (National Payments Corporation of India) अब PIN की जगह बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन जैसे फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन से UPI ट्रांजैक्शन अप्रूव करने की योजना बना रहा है। PIN को एक ऑप्शन के रूप में रखा जाएगा, जिससे यूजर अपनी सुविधा अनुसार तरीका चुन सके

बायोमेट्रिक सिस्टम से कैसे बढ़ेगी सुरक्षा?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव UPI सुरक्षा को एक नए स्तर पर ले जाएगा। PIN को चोरी करना या अनुमान लगाना कई बार संभव हो जाता है, लेकिन किसी का फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन कॉपी कर पाना लगभग असंभव है। ऐसे में यह तरीका धोखाधड़ी को रोकने में बेहद कारगर होगा।
plutos ONE के फाउंडर रोहित महाजन का कहना है, “PIN याद रखने की परेशानी खत्म हो जाएगी। इससे बुजुर्गों और उन लोगों को भी फायदा होगा जो तकनीक से कम परिचित हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में। यह बदलाव उन्हें डिजिटल पेमेंट की दुनिया से जोड़ने में मदद करेगा।”

UPI

तकनीकी और गोपनीयता से जुड़ी चुनौतियां

हालांकि यह बदलाव जितना सुरक्षित दिखता है, उतना ही इसमें कुछ चुनौतियां भी शामिल हैं। डेटा प्राइवेसी, यूजर की सहमति और एक मजबूत तकनीकी सिस्टम की आवश्यकता होगी ताकि बायोमेट्रिक डेटा सुरक्षित रहे और किसी प्रकार का दुरुपयोग न हो सके। रिपोर्ट्स के अनुसार, जून 2025 में UPI ट्रांजैक्शन की संख्या 18.39 अरब तक पहुंच चुकी है और कुल ट्रांजैक्शन वैल्यू 24.03 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे में इस बड़े यूजर बेस के लिए सिस्टम को अपग्रेड करना कोई आसान काम नहीं होगा। लेकिन एक बार बायोमेट्रिक सिस्टम सफलतापूर्वक लागू हो गया, तो यह न सिर्फ ट्रांजैक्शन को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि प्रक्रिया को भी सरल करेगा।

यूजर के लिए क्या बदलेगा?

फिलहाल के लिए यूजर को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप जैसे पहले UPI से पेमेंट करते थे, वैसे ही करते रह सकते हैं। यह बदलाव अभी विचाराधीन है और NPCI द्वारा जब इसे लागू किया जाएगा, तब इसके इस्तेमाल और सेटअप को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
यूजर्स को सलाह है कि वे अपनी बैंकिंग ऐप्स और UPI प्लेटफॉर्म्स के अपडेट पर नजर रखें, ताकि जब यह सुविधा उपलब्ध हो, तो आप समय पर इसका लाभ उठा सकें। UPI ट्रांजैक्शन को और ज्यादा सुरक्षित, सहज और फ्रॉड-फ्री बनाने के लिए NPCI का यह कदम बेहद अहम है। PIN की जगह बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन न सिर्फ डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि उन यूजर्स के लिए भी रास्ता आसान बनाएगा जो तकनीकी रूप से कम सशक्त हैं। आने वाले समय में यह बदलाव भारत की डिजिटल पेमेंट क्रांति को और मजबूती देगा।

UPI की शुरुआत कब हुई थी?

एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) की शुरुआत अप्रैल 2016 में हुई थी। इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने लॉन्च किया। शुरुआत में यह 21 बैंकों के साथ शुरू हुआ और आज लगभग सभी प्रमुख बैंक इससे जुड़े हैं, जिससे डिजिटल लेन-देन आसान हुआ।

UPI किसका सिस्टम है?

यह प्रणाली भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित और संचालित की जाती है। इसमें तत्काल बैंक-से-बैंक फंड ट्रांसफर की सुविधा मिलती है। इसका उद्देश्य डिजिटल भुगतान को तेज, सुरक्षित और 24×7 उपलब्ध कराना है, ताकि नकदी पर निर्भरता कम हो सके।

यूपीआई किस देश की कंपनी है?

UPI किसी निजी कंपनी का उत्पाद नहीं है बल्कि यह भारत का राष्ट्रीय भुगतान तंत्र है। इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने विकसित किया है, जो रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) के अधीन कार्य करता है। इसका संचालन पूरी तरह भारत से होता है।

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