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SSC परीक्षा में गड़बड़ियों का दर्द: TCS की मांग क्यों?

Vinay
Vinay
SSC परीक्षा में गड़बड़ियों का दर्द: TCS की मांग क्यों?

नई दिल्ली, 2 अगस्त 2025: कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की चयन पोस्ट फेज 13 परीक्षा में बड़े पैमाने पर अव्यवस्थाओं और कथित धांधलियों ने देशभर के लाखों छात्रों और शिक्षकों का गुस्सा भड़का दिया है। दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) के दफ्तर तक, “दिल्ली चलो” के नारे के साथ हजारों की संख्या में छात्र और उनके शिक्षक सड़कों पर उतर आए। इनका एक ही मांग है—परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधार।

लेकिन इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दिल्ली पुलिस की लाठीचार्ज और गिरफ्तारियों ने और भड़का दिया। आखिर क्या है इस आंदोलन की वजह, और क्यों बार-बार टीसीएस (Tata Consultancy Services) का नाम उछल रहा है? आइए, इस कहानी को समझते हैं

परीक्षा में गड़बड़ियों का सिलसिला

24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक चली SSC चयन पोस्ट फेज 13 परीक्षा में छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। छात्रों का कहना है कि उन्हें परीक्षा केंद्र आवंटित करने में भारी लापरवाही बरती गई। कई छात्रों को उनके घर से 400-500 किलोमीटर दूर केंद्र दिए गए, जैसे जयपुर के एक छात्र को अंडमान और निकोबार में केंद्र आवंटित कर दिया गया। इसके अलावा, एडमिट कार्ड भी परीक्षा से सिर्फ दो दिन पहले जारी किए गए, जबकि सामान्य तौर पर ये चार दिन पहले जारी होते हैं।

लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब छात्र हजारों रुपये खर्च कर केंद्रों पर पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि परीक्षा रद्द हो चुकी है—बिना किसी पूर्व सूचना के। कई केंद्रों पर तकनीकी खामियां सामने आईं—सर्वर क्रैश, माउस और कीबोर्ड काम नहीं करना, स्क्रीन ब्लैक हो जाना, और यहाँ तक कि एक ही प्रश्नपत्र दो दिन तक दोहराया जाना। कुछ केंद्रों पर तो हालात इतने बदतर थे कि भूतल पर मवेशी बंधे थे, जबकि ऊपरी मंजिल पर परीक्षा चल रही थी।

छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ केंद्रों पर बाउंसर तैनात किए गए थे, जो शिकायत करने वाले छात्रों को डराने-धमकाने का काम कर रहे थे। एक छात्र ने कहा, “हम अपराधी नहीं हैं, हम बस बेहतर सिस्टम की मांग कर रहे हैं। फिर बाउंसर क्यों?” एक अन्य घटना में, सिस्टम की शिकायत करने पर एक छात्र को पीटकर अस्पताल भेज दिया गया

क्यों निशाने पर है नया वेंडर?

छात्रों और शिक्षकों का गुस्सा खास तौर पर SSC द्वारा चुने गए नए निजी वेंडर, एडुक्विटी (Eduquity), पर केंद्रित है। छात्रों का दावा है कि यह वही कंपनी है, जो पहले मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में कथित तौर पर शामिल रही थी और इसे ब्लैकलिस्ट किया गया था। फिर भी, SSC ने 2024 में इसे तीन साल के लिए ठेका दे दिया। छात्रों का सवाल है, “जब एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है, तो हमारी मेहनत और भविष्य का क्या होगा?”

पिछले सालों में, SSC की परीक्षाएँ टीसीएस द्वारा आयोजित की जाती थीं, और छात्रों का मानना है कि तब कम से कम तकनीकी और प्रशासनिक समस्याएँ इतनी गंभीर नहीं थीं। यही वजह है कि #BringBackTCS जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि टीसीएस जैसे विश्वसनीय वेंडर को वापस लाने से परीक्षा प्रक्रिया में स्थिरता और पारदर्शिता आएगी।

जंतर-मंतर पर आंदोलन और पुलिस की कार्रवाई

31 जुलाई को शुरू हुआ “दिल्ली चलो” आंदोलन जंतर-मंतर पर उमड़ा, जहाँ देशभर से आए छात्रों और शिक्षकों ने अपनी आवाज़ बुलंद की। मशहूर शिक्षिका नीतू सिंह (नीतू मैम), राकेश सर, अभिनव सर जैसे कई कोचिंग शिक्षकों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारी DoPT कार्यालय जाकर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से मिलना चाहते थे, ताकि अपनी माँगें—परीक्षा प्रक्रिया

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