कंटेंट क्रिएटर और एंटरप्रेन्योर गौरव सक्सेना ने जताया दुख
अहमदाबाद में हुई भीषण विमान दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इसी दुखद हादसे पर जाने-माने कंटेंट क्रिएटर और एंटरप्रेन्योर गौरव सक्सेना ने गहरी संवेदना और विचारशील प्रतिक्रिया साझा की है। सोशल मीडिया पर अपने प्रेरणादायक कंटेंट और संवेदनशील सोच के लिए पहचाने जाने वाले गौरव ने न केवल इस हादसे पर दुःख जताया, बल्कि जीवन, रिश्तों और वर्तमान में जीने की अहमियत पर भी बात की। गौरव ने कहा, ‘अहमदाबाद विमान हादसा बेहद दुखद और स्तब्ध कर देने वाला है। पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। कुछ ही क्षणों में कई ज़िंदगियों का यूँ समाप्त हो जाना हमें जीवन की अनिश्चितता का कड़वा सच दिखाता है – कि सब कुछ एक पल में बदल सकता है।’
हमें ठहरकर सोचने पर मजबूर कर देते हैं ऐसे हादसे : गौरव
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसे हादसे हमें ठहरकर सोचने पर मजबूर कर देते हैं। हम अक्सर ज़िंदगी और रिश्तों को हल्के में ले लेते हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि हमारा समय सीमित है। अपनों के साथ बिताए छोटे-छोटे लम्हे, छोटी-छोटी खुशियाँ – असल में वही सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं।’ एक तरफ जहाँ गौरव सक्सेना कंटेंट क्रिएशन की रचनात्मकता को संभालते हैं, वहीं दूसरी ओर वे बिज़नेस की तेज़ रफ्तार दुनिया का हिस्सा भी हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने कहा, ‘हम हर समय कुछ पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, और इसी भाग-दौड़ में हम वर्तमान को जीना भूल जाते हैं। मैंने खुद ये महसूस किया है। लेकिन अगर हम सजग रहें और कृतज्ञता का अभ्यास करें, तो हम फिर से उस मूल में लौट सकते हैं, जो सच में मायने रखता है।’

अपनों से गिले-शिकवे दूर कर लेने चाहिए : गौरव
उन्होंने अपने फॉलोअर्स को आत्ममंथन करने, सार्थक संवादों के लिए जगह बनाने और ज़िंदगी की सादगी को सराहने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘ऐसे पल हमें यह भी याद दिलाते हैं कि हमें अपने अपनों से गिले-शिकवे दूर कर लेने चाहिए और उन्हें पास रखना चाहिए। हमें नहीं पता कल क्या होगा। इसीलिए क्षमा करना, कड़वाहट छोड़ना और प्यार जताना बेहद ज़रूरी है। ज़िंदगी बहुत छोटी है किसी भी और बात के लिए।’
एक अलग ही मिसाल पेश करती है गौरव सक्सेना की सच्ची और दिल से निकली बात
गौरव ने अपनी निजी जिंदगी की झलक भी दी: ‘हां, मुझे भी अफ़सोस है कि कई बार मैंने महत्वाकांक्षाओं को लोगों से ऊपर रखा। लेकिन अब मैंने उन अनुभवों से सीख ली है। आज मैं हर दिन को अधिक सजगता से जीने की कोशिश करता हूं और अपने करीबी रिश्तों को सहेजने पर ज़ोर देता हूं।’ जब दुनिया में भावनात्मक पारदर्शिता को अक्सर कमजोरी समझा जाता है, गौरव सक्सेना की सच्ची और दिल से निकली बात एक अलग ही मिसाल पेश करती है। उन्होंने अपनी बात को इन शब्दों में समाप्त किया: ‘ज़िंदगी की नाज़ुकता हमें कभी नहीं भूलनी चाहिए। हमें किसी त्रासदी के इंतज़ार में नहीं रहना चाहिए कि तब जाकर जागें। हर दिन को उद्देश्य के साथ जिएं, खुलकर प्यार करें और वो ज़रूरी बातें कहने में देर न करें।’
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