दिल्ली-गुरुग्राम में आम जनता के लिए सबसे बड़ी समस्या होती है (traffic jam) ट्रैफिक जाम की. पीक टाइम यानि ऑफिस और स्कूल टाइमिंग में तो सड़कों पर हद से ज्यादा ट्रैफिक मिलता है. मगर जाम की इस समस्या से निपटने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने एक बड़ा कदम उठाया है. अब AIIMS से महिपालपुर बाइपास और गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड को जोड़ने वाला 20 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा।
इस मेगा प्रोजेक्ट से दिल्ली-गुरुग्राम हाईवे (NH-48), महरौली-गुरुग्राम रोड और दोनों रिंग रोड्स पर ट्रैफिक का बोझ कम होने की उम्मीद है. NHAI ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) के लिए बोली आमंत्रित की गई, जो 15 अक्टूबर तक तैयार हो सकती है. इस कॉरिडोर की अनुमानित लागत करीब 5 हजार करोड़ रुपये है. हालांकि अंतिम लागत DPR के बाद ही तय होगी।
यह कॉरिडोर एम्स/आईएनए से शुरू होकर नदिरा मार्ग, महरौली-गुरुग्राम रोड और गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड को जोड़ेगा, जो दिल्ली-गुरुग्राम हाईवे के समानांतर चलेगा. इस प्रोजेक्ट का मकसद है गुरुग्राम से गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जाने वाले ट्रैफिक को डायवर्ट करना. यह सिग्नल-फ्री कॉरिडोर साउथ दिल्ली की मुख्य सड़कों पर दबाव कम करेगा, जिससे NH-48, MG रोड और इनर-आउटर रिंग रोड्स पर राहत मिलेगी।
कहां से होकर गुजरेगा यह कॉरिडोर?
यह 20 किमी लंबा कॉरिडोर एम्स/आईएनए से शुरू होगा और ब्रिगेडियर होशियार सिंह मार्ग, अफ्रीका एवेन्यू और नेल्सन मंडेला मार्ग को पार करते हुए वसंत विहार, वसंत कुंज और अर्जनगढ़ होते हुए फरीदाबाद-गुरुग्राम रोड पर खत्म होगा।
‘ट्रैफिक मैनेजमेंट सबसे ज्यादा जरूरी’
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) के चीफ साइंटिस्ट और ट्रैफिक इंजीनियरिंग डिवीजन के हेड, एस. वेलमुरुगन ने बताया- दिल्ली-गुरुग्राम रूट की क्षमता पहले ही चरम पर है. यह कॉरिडोर ट्रैफिक लोड को कम करने में मददगार होगा. उन्होंने सुझाव दिया कि DPR बनाते समय निर्माण के दौरान वैकल्पिक रास्तों पर ट्रैफिक लोड और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था पर ध्यान देना होगा।
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खासकर दिल्ली सेक्शन और RTR इलाके के आसपास के ऑफ-रैंप्स को सावधानी से प्लान करना जरूरी हैय वेलमुरुगन ने यह भी कहा कि अगले पांच सालों में नोएडा/जेवर एयरपोर्ट के शुरू होने से दिल्ली एयरपोर्ट पर कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन गुरुग्राम की कनेक्टिविटी को बेहतर करना जरूरी है।
साउथ दिल्ली से गुरुग्राम
यह एलिवेटेड कॉरिडोर न सिर्फ दिल्ली की सड़कों को जाम से राहत देगा, बल्कि साउथ दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यात्रा को और आसान बनाएगा. सिग्नल-फ्री रास्ते और रणनीतिक रूप से बनाए गए ऑफ-रैंप्स के साथ यह प्रोजेक्ट दिल्ली की ट्रैफिक व्यवस्था में नया आयाम जोड़ेगा. लेकिन निर्माण के दौरान ट्रैफिक मैनेजमेंट और वैकल्पिक रास्तों की प्लानिंग पर खास ध्यान देना होगा, ताकि दिल्लीवासियों को और परेशानी न हो.
गुरुग्राम का पुराना नाम क्या था?
महाभारत काल में राजा युधिष्ठिर ने गुरुग्राम को अपने धर्मगुरु द्रोणाचार्य को उपहार स्वरूप दिया था और आज भी उनके नाम पर एक तालाब के भग्नावशेष तथा एक मंदिर प्रतीक के तौर पर विद्यमान हैं। इस कारण इसका नाम गुरु गाँव पड़ा था। बाद में समय के साथ इसका नाम गुड़गाँव हो गया।
गुरुग्राम और गुड़गांव में क्या अंतर है?
27 सितंबर 2016 को उन्होंने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि केंद्र सरकार ने नाम परिवर्तन को मंजूरी दे दी है, और इस प्रकार शहर और जिले को अब से गुरुग्राम के रूप में जाना जाएगा , हालांकि पुराना नाम “गुड़गांव” अभी भी बोलचाल में उपयोग में है।
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