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Allahabad High Court: हाईकोर्ट ने कहा-पुराण कानूनी दृष्टि से प्रमाणिक नहीं

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Allahabad High Court: हाईकोर्ट ने कहा-पुराण कानूनी दृष्टि से प्रमाणिक नहीं

Mathura Dispute: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि पुराणों को कानूनन प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने यह निर्णय उस याचिका को खारिज करते हुए दिया जिसमें देवी श्री जी राधा रानी को पक्षकार बनाए जाने की मांग की गई थी।

क्या कहा अदालत ने पुराणों को लेकर?

हाईकोर्ट की सिंगल बेंच, जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र (Justice Ram Manohar Narayan Mishra) ने कहा कि:

  • पुराणों में लिखी बातें कहानी और परंपराओं पर आधारित होती हैं।
  • ये बातें प्रत्यक्ष गवाही या दस्तावेज़ी साक्ष्य नहीं होतीं।
  • इस आधार पर कोई व्यक्ति या देवी-देवता भूमि पर दावा नहीं कर सकते।

याचिका में क्या था दावा?

Mathura Dispute: सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन सिंह ने यह याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया था कि:

  • पुराणों और संहिताओं में राधा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की आत्मा और भार्या कहा गया है।
  • दोनों का विवाह ब्रह्मा जी द्वारा संपन्न हुआ था।
  • इसलिए मथुरा की विवादित भूमि में राधा रानी को भी अधिकार है।
Mathura Dispute

हाईकोर्ट ने याचिका क्यों की खारिज?

कोर्ट ने कहा कि:

  • केवल पौराणिक आधार पर कानूनी अधिकार नहीं दिए जा सकते।
  • राधा रानी का भूमि से सीधा संबंध या ऐतिहासिक सबूत नहीं दिया गया।
  • इसलिए अर्जी को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

संत समाज और अधिवक्ता की नाराजगी

हाईकोर्ट के निर्णय के बाद संत समाज और धार्मिक संगठन नाराज हैं।

  • निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने कहा कि पुराणों को अप्रमाणिक कहना धर्म के अपमान जैसा है।
  • अधिवक्ता रीना सिंह ने कहा कि वह इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी।
  • उन्होंने यह भी इलज़ाम लगाया कि हाईकोर्ट का यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट की पूर्व की मान्यताओं के प्रतिकूल है।
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