Jagannath Rath Yatra: ‘रत्न भंडार’ की मरम्मत का काम रथ यात्रा के दौरान ही पूरा कर ले एएसआई

By Ankit Jaiswal | Updated: June 15, 2025 • 1:09 PM

2024 में एएसआई ने मरम्मत और संरक्षण का कार्य शुरू किया

ओडिशा के पुरी में मौजूद श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से अनुरोध किया है कि वह मंदिर के ‘रत्न भंडार’ की मरम्मत का काम आगामी रथ यात्रा के दौरान ही पूरा कर ले, जब भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन नौ दिनों के लिए मंदिर से बाहर रहेंगे। रत्न भंडार श्री जगन्नाथ मंदिर का वह कक्ष है जहां भगवान के गहने और कीमती वस्तुएं रखी जाती हैं। यह भंडार 46 साल बाद जुलाई 2024 में खोला गया था, जब एएसआई ने उसकी मरम्मत और संरक्षण का कार्य शुरू किया था।

एएसआई के महानिदेशक यदुबीर सिंह रावत को लिखा पत्र

मामले में एसजेटीए के मुख्य प्रशासक और आईएएस अधिकारी अरविंद पदी ने एएसआई के महानिदेशक यदुबीर सिंह रावत को पत्र लिखकर कहा है कि 28 जून से 6 जुलाई के बीच, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथ यात्रा पर गुंडिचा मंदिर में रहेंगे, उस दौरान रत्न भंडार की बची हुई मरम्मत पूरी कर ली जाए। बता दें कि, रथ यात्रा इस वर्ष 27 जून को होगी।

एएसआई को कई अन्य बिंदुओं पर भी दिए निर्देश

पिछले साल भी रथ यात्रा के दौरान जब देवता मंदिर में नहीं थे, तब रत्न भंडार खोला गया था। वहीं अपने पत्र में अरविंद पदी ने एएसआई को कई अन्य बिंदुओं पर भी निर्देश दिए हैं। जैसे- गर्भगृह का निरीक्षण किसी वरिष्ठ अधिकारी (उप निदेशक या निदेशक स्तर) की तरफ से कराया जाए। अरुण स्तंभ के पास खोंडालाइट पत्थर को सफलतापूर्वक बदलने और अब तक के संरक्षण कार्य के लिए एएसआई को धन्यवाद दिया गया। उत्तर द्वार पर रैंप निर्माण कार्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार पूरा किया गया। नाटमंडप (नृत्य मंडप) में एसी लगाने के लिए नया डिजाइन दिया गया है, जिसकी एएसआई से स्वीकृति अपेक्षित है। मंदिर के प्रकाश व्यवस्था पर भी एएसआई सलाहकारों से चर्चा जारी है।

रथ पर मोबाइल फोन का न करें उपयोग

अरविंद पदी ने रथ यात्रा की तैयारियों को लेकर चार ‘बड़ाग्रही’ सेवकों (जो रथ यात्रा में मूर्तियों के निकट रहते हैं) के साथ बैठक भी की। उन्होंने बताया, ‘देवताओं की ‘पाहंडी’ (चल समारोह) को सुचारु रूप से संपन्न कराने पर विस्तृत चर्चा हुई। प्रशासन ने सेवकों से अनुरोध किया है कि रथ पर मोबाइल फोन का उपयोग न करें, जिससे धार्मिक मर्यादा बनी रहे।’

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