Latest News : बिरसा मुंडा, विरासत का पुनर्जागरण और जनजातीय गौरव

By Surekha Bhosle | Updated: November 15, 2025 • 5:09 PM

प्रधानमंत्री मोदी का बयान: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण

2014 से पहले उपेक्षित विरासत– पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के पहले भगवान बिरसा मुंडा जैसे महान जनजातीय नायकों को राष्ट्रीय स्तर पर वह सम्मान नहीं मिला जिसकी वे पात्र थे। जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को लंबे समय तक मुख्यधारा में स्थान नहीं दिया गया।

गुजरात के नर्मदा में भगवान बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘जनजातीय गौरव दिवस’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरकत की. इस दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जनजातीय गौरव हजारों वर्षों से हमारे भारत की चेतना का अभिन्न हिस्सा रहा है. अगर आदिवासी समाज की बात की जाए तो इनका गौरव इतिहास रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन में ट्राइबल (आदिवासी) समाज के योगदान को हम भुला नहीं सकते हैं. वहीं इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने 14 आदिवासी जिलों के लिए 250 बसों को हरी झंडी दिखाई

इससे पहले, जनजातीय गौरव दिवस (Pride Day) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नर्मदा में भगवान बिरसा मुंडा को पुष्पांजलि अर्पित की. डेडियापाडा में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत किया गया. पीएम मोदी ने आगे कहा कि कहा कि आज मां नर्मदा की ये पावन धरती आज एक और ऐतिहासिक आयोजन की साक्षी बन रही है. 2021 में हमने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी. अभी 31 अक्टूबर को हमने यहां सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाई।

भगवान बिरसा मुंडा को कोई नहीं करता था याद

पीएम मोदी ने कहा कि जनजातीय गौरव हजारों वर्षों से हमारे भारत की चेतना का अभिन्न हिस्सा रहा है. आज भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के इस भव्य आयोजन के साथ हम भारत पर्व की पूर्णता के साक्षी बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी एकता और विविधता को सेलिब्रेट करने के लिए भारत पर्व शुरू हुआ है. पीएम मोदी ने कहा, ‘2014 के पहले भगवान बिरसा मुंडा को कोई याद करने वाला नहीं था. सिर्फ उनके अगल-बगल के गांव तक ही पूछा जाता था. आज देशभर में कई ट्राइबल म्यूजियम बनाए जा रहे हैं।’

सभी जनजातियों की बोलियों पर होगा अध्ययन

उन्होंने कहा कि श्री गोविंद गुरु चेयर जनजातीय भाषा संवर्धन केंद्र की स्थापना भी हुई है. यहां भील, गामित, वसावा, गरासिया, कोकणी, संथाल, राठवा, नायक, डबला, चौधरी, कोकना, कुंभी, वर्ली, डोडिया और ऐसी सभी जनजातियों की बोलियों पर अध्ययन होगा. उनसे जुड़ी कहानियों और गीतों को संरक्षित किया जाएगा. पीएम मोदी ने आगे कहा कि जनजातीय गौरव हजारों वर्षों से हमारे भारत की चेतना का अभिन्न हिस्सा रहा है।

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स्वतंत्रता संग्राम सबसे बड़ा उदाहरण

पीएम मोदी ने कहा, “जब-जब देश के सम्मान, स्वाभिमान और स्वराज की बात आई, तो हमारा आदिवासी समाज सबसे आगे खड़ा हुआ. हमारा स्वतंत्रता संग्राम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. स्वतंत्रता आंदोलन में ट्राइबल समाज के योगदान को हम भुला नहीं सकते.” पीएम मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य, सड़क और यातायात से जुड़े कई और प्रोजेक्ट्स शुरू हुए हैं। मैं इन सभी विकास कार्यों के लिए, सेवा कार्यों के लिए, कल्याण योजनाओं के लिए आप सभी को विशेषकर के गुजरात और देश के जनजातीय परिवारों को बधाई देता हूं।

बिरसा मुंडा का इतिहास क्या है?

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को बिहार के उलीहातू गांव-जिला रांची में हुआ था। उन्होंने हिंदू और ईसाई धर्म दोनों की शिक्षा ली थी। बिरसा को 25 साल में ही आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक शोषण का काफी ज्ञान हो गया था। बिरसा मुंडा का जीवन सिर्फ 25 साल का रहा।

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