वाराणसी, 11 सितंबर 2025 — प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी आगमन से पहले माहौल गरमाता नज़र आया। कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार की नीतियों और स्थानीय मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। लेकिन प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की और भारी संख्या में कांग्रेस नेताओं एवं पदाधिकारियों को उनके घरों में ही नज़रबंद (हाउस अरेस्ट) कर दिया।

प्रशासन की सख़्ती
वाराणसी पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। शहर के कई इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेताओं को सुबह से ही उनके घरों से निकलने से रोक दिया गया। कई जिलों से आए पदाधिकारियों पर भी निगरानी रखी जा रही है। पुलिस का कहना है कि प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान किसी तरह की अव्यवस्था या कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा न हो, इसलिए यह कदम उठाया गया है।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस नेताओं ने प्रशासन की कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताते हुए तीखी आलोचना की है। उनका कहना है कि विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार है, जिसे छीनने की कोशिश की जा रही है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार आलोचना से डरती है, इसलिए विपक्ष की आवाज़ को दबाने के लिए बल प्रयोग कर रही है।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री जनता से जुड़ने वाराणसी आते हैं, तो विरोध जताने का हक़ क्यों छीना जा रहा है?
स्थानीय मुद्दे बने विरोध का आधार
जानकारी के अनुसार, कांग्रेस वाराणसी में बेरोजगारी, गंगा सफाई परियोजना में अनियमितता, बुनियादी ढांचे की समस्याओं और महंगाई जैसे मुद्दों को उठाने जा रही थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पहले ही पोस्टर और बैनर लगाकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। इसी को देखते हुए प्रशासन ने विरोध को रोकने के लिए पहले से सख्ती बरती।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है। कुछ लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री के आगमन पर सुरक्षा सर्वोपरि है, इसलिए प्रशासन का कदम सही है। वहीं कई नागरिकों का मानना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष को अपनी बात रखने से रोकना स्वस्थ परंपरा नहीं है।
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