पटना । बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की शानदार जीत ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के राजनीतिक प्रबंधन कौशल को एक बार फिर साबित कर दिया है। भाजपा के प्रमुख रणनीतिकारों में गिने जाने वाले प्रधान का बिहार से वर्षों पुराना गहरा नाता रहा है। इस बड़ी जीत के बाद माना जा रहा है कि उनका राजनीतिक कद और ऊंचा हुआ है और वे भाजपा अध्यक्ष की रेस में काफी आगे निकल चुके हैं।
नीतीश कुमार से दशकों पुराना रिश्ता
ओडिशा मूल के होने के बावजूद धर्मेंद्र प्रधान और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संबंध अटल बिहारी वाजपेयी सरकार (Atal Bihari Bajpayei) के दौर से मजबूत रहे हैं। 2015 में भाजपा से अलगाव के बाद भी नीतीश कुमार ने एक सरकारी कार्यक्रम में उन्हें स्नेहपूर्वक “सह-बिहारी” कहा था। प्रधान के पिता देवेंद्र प्रधान भी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे, जिससे दोनों परिवारों के बीच निकटता और गहरी होती गई।
बिहार की राजनीति से गहरा जुड़ाव
धर्मेंद्र प्रधान का बिहार से सीधा संबंध 2010 विधानसभा चुनाव में बना, जब उन्होंने दो महीने राज्य में कैंप किया। 2012 में उन्हें बिहार से राज्यसभा भेजा गया—यह उनके और राज्य के रिश्ते का बड़ा मोड़ था।
तब से अब तक वे बिहार के 5 बड़े चुनावों—
- 2 लोकसभा
- 3 विधानसभा
में भाजपा के मुख्य रणनीतिकार रहे हैं।
2014 में नीतीश के एनडीए से अलग होने पर उन्होंने उन्हें दोबारा सोचने की सलाह दी थी।
2022 में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी तो उन्हीं ने नीतीश से मुलाकात की। प्रधान का नीतीश कुमार पर मजबूत प्रभाव और भाजपा नेतृत्व—मोदी और अमित शाह—के साथ गहरा भरोसा उन्हें इस चुनाव का स्वाभाविक संचालक बनाता है।
शिक्षा मंत्रालय और आरएसएस का भरोसा
देश के सबसे लंबे समय तक पेट्रोलियम मंत्री रहने के बाद प्रधान अब शिक्षा मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे हैं—यह मंत्रालय आरएसएस के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
2017 से उन्होंने कई राज्यों में भाजपा को निर्णायक जीत दिलाई—
- उत्तर प्रदेश 2022 में उनकी रणनीति सबसे सफल मानी गई
- उत्तराखंड, हरियाणा और अन्य राज्यों में भी वे जीत के सूत्रधार रहे
हालाँकि 2021 में नंदीग्राम की सीट भाजपा हार गई, लेकिन उनकी रणनीतिक छवि पर असर नहीं पड़ा।
ओडिशा और हरियाणा में शानदार प्रदर्शन
अपने गृह राज्य ओडिशा में बीजेडी के खिलाफ तीखे अभियान ने भाजपा को महत्वपूर्ण विस्तार दिया।
हरियाणा के कठिन चुनाव में भाजपा की जीत ने उनकी रणनीति और कद को और मजबूत किया—यह 2024 लोकसभा के बाद पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाला कदम था। बिहार, यूपी, ओडिशा और हरियाणा में सफलता ने प्रधान को भाजपा के शीर्ष रणनीतिकारों में स्थापित कर दिया है।
भविष्य की भूमिका और भाजपा अध्यक्ष की रेस
सूत्रों के अनुसार, बिहार की ऐतिहासिक जीत के बाद धर्मेंद्र प्रधान का नाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए गंभीर दावेदार बन चुका है। चुनाव प्रबंधन में उनकी विशेषज्ञता, संगठन पर पकड़, नीतीश कुमार से करीबी और भाजपा नेतृत्व का भरोसा—ये सभी कारक उन्हें शीर्ष भूमिका के और करीब ले जाते दिख रहे हैं।
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