नई दिल्ली,। रक्षा मंत्रालय ने 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट (Fighter Jet) की अंतरिम खरीद को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं यानि भारत बहुत जल्द पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान खरीदने जा रहा है। भारत खुद के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट एएमसीए पर भी काम कर रहा है, लेकिन जब तक एएमसीए पूरा नहीं हो जाता, तब तक भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमानों की संख्या में आए कमी को भरने के लिए भारत ने नए विमानों के अधिग्रहण का फैसला लिया है, लेकिन भारत सरकार का नया फैसला राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, जो भारत के मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) टेंडर के प्रमुख दावेदारों में से एक है।
अब भारत 114 लड़ाकू विमानों के लिए टेंडर प्रक्रिया में बदलाव कर सकता है
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत एमआरएफए प्रोग्राम के तहत 114 एडवांस लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष ने काफी कुछ बदल दिया है। अब भारत 114 लड़ाकू विमानों के लिए टेंडर प्रक्रिया में बदलाव कर सकता है और टेंडर निकालने की जगह सरकार से सरकार स्तर पर समझौता करने की दिशा में आगे बढ़ सकता है यानि टेंडर निकालने की जगह सीधे देश की सरकार से लड़ाकू विमान खरीदने पर बातचीत शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अब इस खरीद को दो भागों में बांटा जा सकता है यानि 114 राफेल फाइटर जेट नहीं खरीदकर सरकार उसकी संख्या आधा कर देगी यानि करीब 60 राफेल एफ4 जेट खरीदे जाएंगे और उतनी ही संख्या में 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट। इससे न सिर्फ भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता मजबूत होगी, बल्कि एएमसीए की सेवा में आने तक का अंतर भी पाटा जा सकेगा।
रूस ने एसयू-57 फेलॉन की पेशकश भारत से की है
इस दिशा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड को राफेल के फ्यूसेलाज निर्माण का काम सौंपा जाना पहले ही इस बदलाव की पुष्टि करता है। राफेल के यूनिट कॉस्ट को कम करना और भारतीय एलिमेंट्स को एकीकृत करना अब इस खरीद में अनिवार्य शर्त बन सकता है। दूसरी ओर रूस ने एसयू-57 फेलॉन की पेशकश भारत से की है, जबकि अमेरिका की ओर से एफ-35 लाइटिंग-2 संभावित विकल्प है। हालांकि दोनों की अपनी राजनीतिक और तकनीकी मुश्किलें हैं। अमेरिका कई शर्तों के साथ एफ-35 बेचता है और अपने फायदे के हिसाब से प्रतिबंध लगाता है।
भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल चौथी और 4.5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट हैं
जबकि एसयू-57 की टेक्नोलॉजी और रूस की प्रोडक्शन क्षमता पर गंभीर सवाल उठते रहे हैं। बता दें भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल चौथी और 4.5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट हैं, जैसे कि एसएयू-30एमकेआई, राफेल और तेजस एमके1ए हैं, लेकिन कोई भी स्टील्थ या 5वीं पीढ़ी का फाइटर इसके पास नहीं है। दूसरी ओर चीन के पास 200 से ज्यादा जे-20 स्टील्थ जेट्स हैं और पाकिस्तान भी जे-10सीई और जेएफ-17 ब्लॉक-3 जैसे आधुनिक जेट्स के साथ पीएल-15 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात कर रहा है। फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट ने भारत में पहले 36 राफेल जेट्स की डील पूरी की है, लेकिन अब नए फेज में उन्हें कम संख्या में ऑर्डर मिलना लगभग तय है।
राफेल लड़ाकू विमान कौन सी कंपनी बनाती है?
राफेल जेट बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर के हवाले से एक फ्रांसीसी रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारत ने अपना एक राफेल लड़ाकू विमान खो दिया है।
राफेल विमान का मालिक कौन था?
शिवानी शर्मा फाइटर जेट राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत की टाटा ग्रुप के साथ बड़ी डील की है. दसॉल्ट एविएशन अब टाटा ग्रुप के साथ मिलकर फाइटर प्लेन राफेल की बॉडी भारत में बनाएगी. इसके लिए दसॉल्ट एविएशन और टाटा ग्रुप ने एक डील पर साइल किया है
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